लगभग 9 हजार क्विंटल पैरादान कर दिया ग्रामीणों ने, सामूहिक संकल्प के बूते रोज बढ़ रहा पैरादान का आंकड़ा

75 क्विंटल तक पैरादान भी किया और गौठान तक छोड़ा भी : पैरादान बना आंदोलन की तरह, छोटे-बड़े सभी किसान सामने आ रहे, कुछ किसान अपने ट्रैक्टर में कई बार फेरी लेकर पैरा गौठान तक छोड़ रहे

दुर्ग ,अपने गौठानों को आगे बढ़ाने, यहां पर पशुधन के संवर्धन का बीड़ा ग्रामीणों ने उठाया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की एक अपील पर हजारों किसानों के हाथ इस पुण्य कार्य के लिए बढ़े हैं। दुर्ग जिले में ऐसे भी उदाहरण हैं जहां किसानों ने ७५ क्विंटल तक पैरादान किया है और इसके लिए कई बार अपने ट्रैक्टर से फेरी लगाकर पैरा गौठान तक छोड़ा है। सुबह से ही स्थानीय अमला लोगों से पैरादान की अपील करता है और शाम तक गौठानों में पैरा का ढेर एकत्रित हो जाता है। उपसंचालक कृषि श्री अश्विनी बंजारा ने बताया कि पैरादान के लिए ग्रामीणों में जबरदस्त उत्साह नजर आ रहा है। लोग स्वयं गौठान तक पैरा छोड़ रहे हैं। लोग इस भावना के साथ गौठान तक पैरा छोड़ रहे हैं कि दान का महातम्य इसी बात में है कि इसे स्वयं जाकर दिया जाए। अब तक 8899 क्विंटल से अधिक पैरादान हो चुका है और हर दिन लोग पैरादान के लिए आगे बढ़ रहे हैं।
जैसे परिवार के प्रति जिम्मेदारी है वैसे ही गांव के प्रति भी- ग्राम मोहलाई के भरत निषाद ने बताया कि उन्होंने 75 क्विंटल पैरादान किया है। यह करने के बाद उन्हें बहुत खुशी हुई है। भरत ने बताया कि गौठान अपने हैं। पशुधन अपना है और गांव भी अपना है। जिस तरह से हम अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी रखते हैं उसी प्रकार की जिम्मेदारी अपने गांव के लिए भी है। फिर पैरादान का कार्य तो बहुत पुनीत कार्य है। गायों को बेहतर चारा मिल पाएगा तो खड़ी फसल भी बचेगी और दूध अच्छा होगा। इससे हमारे बच्चों में कुपोषण का खतरा भी कम हो जाएगा। ग्राम घुघुसीडीह में 75 क्विंटल पैरादान करने वाले श्री मिथिलेश चंद्राकर ने बताया कि गोसेवा बहुत पुण्य का कार्य है और हमारी खुशकिस्मती है कि इस पुण्य कार्य में अपना हिस्सा दे रहे हैं। मैं पैरादान कर बहुत खुश हूँ। मुझे लगता है कि गांव तभी बढ़ेगा जब हम अपने पशुधन का विशेष तरह से जतन करेंगे। उनके लिए साल भर चारा-पानी के साथ ही उन्नत चारा उपलब्ध कराना भी हमारी जिम्मेदारी है। सरकार ने गौठान बनाकर बड़ा कार्य किया है अब इसके बेहतर संचालन के लिए ग्रामीणों को आगे आना होगा।
दान का पुण्य भी और विकास भी- ग्राम ढौर से राकेश चंद्राकर ने बताया कि उन्होंने 55 क्विंटल पैरादान किया है। गांव में बहुत उत्साह का माहौल है और लोग खुलकर गौठान के लिए पैरादान कर रहे हैं। यह बहुत नेक कार्य है इसलिए सभी लोग इसमें आगे आ रहे हैं। इससे पता लगता है कि सामूहिक भागीदारी से कोई कार्य किया जाए तो बड़ी सफलता मिलती है। उल्लेखनीय है कि ढौर में पैरा एकत्र करने एवं इसे ले जाने में आसानी हो इसके लिए बेलर का इंतजाम भी किया गया था। ढौर के साथ ही चंदखुरी, पाहंदा, जामगांव, बोरवाय जैसे गांवों में भी बेलर के माध्यम से पैरा एकत्र करने में मदद मिली। कोटमी के किसान चोवाराम साहू ने बताया कि उन्होंने 65 क्विंटल पैरादान किया है। श्री साहू ने बताया कि मुख्यमंत्री के पैरादान की अपील का व्यापक महत्व है। खेती की मुकम्मल तरक्की तभी होगी जब पशुधन मजबूत होगा। गांव में पैरादान आंदोलन की तरह हुआ है और सामूहिक काम कर अपने गांव को आगे बढ़ाने के संकल्प के साथ सभी ग्रामीण पैरादान कर रहे हैं।
40 क्विंटल से अधिक पैरादान करने वाले किसान- दुर्ग और पाटन ब्लाक में कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने 40 क्विंटल से अधिक पैरादान किया है। उदाहरण के लिए दुर्ग ब्लाक में मोहलाई के भरत निषाद ने 75 क्विंटल, मोहलाई के ही मेहत्तरराम साहू ने 50 क्विंटल, कोटनी के चोवाराम साहू ने 65 क्विंटल, घुघुसीडीह के मिथिलेश चंद्राकर ने 75 क्विंटल, खम्हारिया के भूपेंद्र मानिकपुरी ने 40 क्विंटल पैरादान किया है। पाटन ब्लाक में ग्राम ढौर के राकेश चंद्राकर ने 55 क्विंटल, पतोरा के श्री चोवाराम और इसी गांव के श्री नरेश ने 65 क्विंटल पैरादान किया है।

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