कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया और उनके परिवार के सदस्यों पर MUDA (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) मामले में मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी है। भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता टीजे अब्राहम समेत कई अन्य शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि मुडा घोटाले में अवैध आवंटन से राज्य के खजाने को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हालांकि सिद्धारमैया ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है।
दो कार्यकर्ताओं की शिकायत पर राज्यपाल ने मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। शिकायत में बताया गया है कि सीएम सिद्धारमैया द्वारा कानून का पालन करने के बार-बार दावों के बावजूद सिद्धारमैया की पत्नी को MUDA द्वारा 14 साइटें आवंटित करने में स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।
क्या है MUDA केस?
मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने साल 1992 में कुछ जमीन रिहायशी इलाके में विकसित करने के लिए किसानों से ली थी. उसे डेनोटिफाई कर कृषि भूमि से अलग किया गया था. लेकिन 1998 में अधिगृहित भूमि का एक हिस्सा MUDA ने किसानों को डेनोटिफाई कर वापस कर दिया था. यानी एक बार फिर ये जमीन कृषि की जमीन बन गई थी.
राज्यपाल ने जारी किया था कारण बताओ नोटिस
अधिवक्ता-कार्यकर्ता टी जे अब्राहम द्वारा दायर याचिका के आधार पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 26 जुलाई को कारण बताओ नोटिस’’ जारी किया था, जिसमें मुख्यमंत्री को उन पर लगाए पर आरोपों पर जवाब देने और यह बताने के निर्देश दिए गए थे कि उनके खिलाफ अभियोजन की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए। कर्नाटक सरकार ने एक अगस्त को राज्यपाल को मुख्यमंत्री को जारी कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी थी। उसने राज्यपाल पर संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया था।
MUDA घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, पत्नी, साले और कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की गई है। एक्टिविस्ट टी. जे. अब्राहम, प्रदीप और स्नेहमयी कृष्णा का आरोप है कि CM ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाए।