मार्च 2026 तक नक्सली समस्या को जड़ से मिटाने के सरकार के संकल्प को देखते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में निर्णायक लड़ाई छेड़ने की रणनीति बना ली है। इसके तहत चार बटालियनों यानी करीब 4,000 जवानों को नक्सल हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित हिस्सों में तैनात किया जा रहा है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ ने झारखंड से तीन और बिहार से एक बटालियन को वापस बुलाया है। यह फैसला इन दोनों राज्यों में नक्सली गतिविधियों में अपेक्षाकृत कमी आने के मद्देनजर किया गया। देश की आंतरिक सुरक्षा और नक्सल विरोधी अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले इस बल के जवानों को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से करीब 500 किलोमीटर दक्षिण में स्थित बस्तर के नो-गो क्षेत्र में किए जाने की तैयारी है। यह रणनीति ऐसे समय में बनाई गई है जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने ही रायपुर में कहा था कि मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के पूरी तरह सफाये के लिए एक मजबूत और सख्त कार्य योजना की जरूरत है। सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के नक्सलियों से मोर्चा ले रहे मौजूदा बल को और मजबूती देने के लिए सीआरपीएफ की 159, 218, 214 और 22 बटालियन को तैनात किया जा रहा है जिसमें हर बटालियन में करीब 1,000 जवान हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इन बटालियनों को दंतेवाड़ा और सुकमा के दूरवर्ती जिलों और ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के साथ लगती राज्य की सीमाओं के इलाकों में तैनात किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इन नई इकाइयों को बख्तरबंद वाहन, यूएवी (मानव रहित हवाई वाहन), श्वान दस्ते, संचार सेट और राशन आपूर्ति के माध्यम से रसद सहायता प्रदान की जा रही है।
कोबरा जवानों के साथ बनाएंगे अग्रिम ठिकाने
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये जवान सीआरपीएफ की कोबरा इकाइयों के साथ मिलकर जिलों के दूरदराज के इलाकों में और अधिक अग्रिम परिचालन बेस (एफओबी) स्थापित करेंगे ताकि क्षेत्र को सुरक्षित करने के बाद विकास कार्य शुरू किए जा सकें। पिछले तीन वर्षों में सीआरपीएफ ने छत्तीसगढ़ में लगभग 40 एफओबी बनाए हैं। हालांकि, ऐसे बेस स्थापित करने में कई तरह की चुनौतियां आती हैं, जैसे माओवादियों का घात लगाकर और विस्फोटक उपकरणों से जवानों पर हमला करना।
एक दशक में 53 फीसदी घटीं नक्सली घटनाएं
- गृह मंत्री शाह ने 24 अगस्त को रायपुर में बताया था कि 2004-14 की तुलना में पिछले एक दशक देश में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 53 फीसदी की कमी आई है
- वर्ष 2004-14 में नक्सली हिंसा की 16,274 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2014-24 के दौरान ये घटकर 7,696 रह गईं। वहीं नक्सली हिंसा के कारण होने वाली मौतों की संख्या भी 2004-14 में 6,568 से घटकर 2014-24 में 1,990 रह गई