रेलवे का अनुमान है कि हर नए गति शक्ति कार्गो टर्मिनल के साथ उसकी माल ढुलाई क्षमता सालाना 10 लाख टन तक बढ़ सकती है। इससे रेलवे को 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
रेल के जरिये जाने वाले माल की अधिक ढुलाई करने के लिए रेल मंत्रालय कंपनियों और ढुलाई करने वालों को 200 नए गति शक्ति कार्गो टर्मिनल मुहैया कराने की योजना बना रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इससे कंपनियों की रेल के जरिये आपूर्ति की श्रृंखला को सहारा मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 के आम बजट में 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल बनाने की केंद्र की योजना का ऐलान किया था। यह लक्ष्य तीन साल में पूरा किया जाना था। अधिकारी ने कहा, ‘पहले 100 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली है, जिससे पता चलता है कि निजी क्षेत्र में माल ढुलाई करने वाले और माल बनाने वाले रेल के जरिये ढुलाई के ढांचे में निवेश करने के लिए तैयार हैं। पहले 100 गति शक्ति टर्मिनलों के लिए बोली लगने के बाद हम 200 नए टर्मिनल बनाएंगे।’
रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक 77 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल चालू हो चुके हैं, जिनमें ऑपरेटरों ने 5,400 करोड़ रुपये यानी प्रति टर्मिनल औसतन 69 करोड़ रुपये लगाए हैं। सरकार को उम्मीद है कि 100 टर्मिनल तय मियाद में पूरे हो जाएंगे। दिसंबर 2022 में रेलवे को सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र से 129 आवेदन मिल गए थे। ये टर्मिनल अदाणी समूह, जेएसडब्ल्यू समूह, नायरा एनर्जी, कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और इंडियन ऑयल आदि चला रहे हैं। गति शक्ति कार्गो टर्मिनल की संख्या बढ़ाकर केंद्र सरकार कई तरह के माल की ढुलाई करने पर विचार कर रही है क्योंकि इस मामले में रेलवे कुछ पीछे है। पिछले साल कमोडिटी में ही रेलवे के कार्गो काफी कम हो गए थे।
मौजूदा अनुमान के हिसाब से 200 टर्मिनलों पर करीब 12,000 से 14,000 करोड़ रुपये का निवेश हो सकता है। रेलवे की जमीन के बजाय दूसरी जमीन पर बने गति शक्ति कार्गो टर्मिनलों के लिए ऑपरेटर विभिन्न विभागों से मंजूरी लेकर खुद ही टर्मिनल बनाते हैं। पूरी तरह रेलवे की जमीन या रेलवे की थोड़ी-बहुत जमीन पर बनने वाले टर्मिनलों के लिए जमीन रेलवे ही चुनता है। उस पर टर्मिनल बनाने के लिए ऑपरेटर को टर्मिनल एक्सेस शुल्क के आधार पर खुली बोली के जरिये चुना जाता है।
बुनियादी ढांचा तैयार करने और संभालने का पूरा खर्च निवेशक को ही उठाना पड़ता है मगर उसका मालिक रेलवे होता है। टर्मिनल के ऑपरेटर बुनियादी ढांचा तैयार कर गोदाम, प्रसंस्करण, पैकेजिंग जैसी मूल्यवर्द्धित सेवाएं दे सकते हैं।
रेलवे का अनुमान है कि हर नए गति शक्ति कार्गो टर्मिनल के साथ उसकी माल ढुलाई क्षमता सालाना 10 लाख टन तक बढ़ सकती है। इससे रेलवे को 100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
इनमें से कई ऑपरेटर माल ढुलाई करने वाली कंपनियों के पास हैं और ये देश में कंटेनर के जरिये माल ढुलाई की रेलवे की योजना में अहम भूमिका निभाएंगे। अभी रेलवे का इस्तेमाल निर्यात होने वाले माल की ढुलाई के लिए ही होता है। देश के भीतर कंटेनरों की आवाजाही मुख्य रूप से सड़क के जरिये ही होती है। अलग-अलग किस्म के माल की ढुलाई के लिए रेलवे अलग-अलग तरह के डिब्बे इस्तेमाल करता है।
उपरोक्त अधिकारी ने कहा कि रेलवे निकट भविष्य में वजन वाली वस्तुओं की ढुलाई पर ध्यान देना चाहता है और यह भी चाहता है कि तरह-तरह का माल कंटेनरों में भरकर गति शक्ति टर्मिनल नेटवर्क के जरिये भेजा जाए।
रेलवे तीन तल (ट्रिपल स्टेक) कंटेनर लाने पर काम कर रहा है। इसमें छोटे आकार के तीन कंटेनर एक के ऊपर एक रखकर ले जाए जाते हैं। अधिकारियों ने कहा कि अगर देश के भीतर आपूर्ति के लिए कंटेनर इस्तेमाल करने हैं तो छोटे कंटेनरों की जरूरत पड़ेगी।