महाराष्ट्र में BJP के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन की सरकार बनने जा रही है। महायुति ने 288 सीटों में से 230 पर जीत दर्ज की। अकेले BJP ने 132 सीटें जीती हैं। शिवसेना शिंदे को 57 और NCP अजित पवार को 41 सीटें मिली। CM शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि तीनों पार्टी मिलकर तय करेंगी कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
वहीं कांग्रेस, शिवसेना उद्धव और NCP (शरद) की महाविकास अघाड़ी 48 सीटों पर सिमट गई। 2019 के मुकाबले इस बार 4% ज्यादा वोटिंग हुई। 2019 में 61.4% वोट पड़े थे। इस बार 65.11% वोटिंग हुई।
ऐसी जीत… भाजपा का स्ट्राइक रेट 89%
महायुति सिर्फ जीता नहीं, बल्कि अगले-पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। जीत की दर (स्ट्राइक रेट) के मामले में भाजपा सबसे आगे रही। उसने 149 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 132 जीत गए। इस तरह उसका स्ट्राइक रेट 89.26 फीसदी रहा। वहीं, शिवसेना (शिंदे) के 81 में 57 उम्मीदवार जीते और जीत की दर 70.3 फीसदी रही। राकांपा (अजीत पवार) ने 59 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसके 69.5 फीसदी यानी 41 उम्मीदवार जीते।
शिंदे सेना पर मुहर
शिवसेना को 2019 के चुनाव में 56 सीटें मिली थीं। बंटवारे के बाद पहले चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने अपने दम पर 57 सीटें जीत लीं।
उद्धव ठाकरे फिर वहीं खड़े दिख रहे हैं, जहां वह पार्टी के दोफाड़ होने पर पहुंच गए थे।
अजीत सुपर हीरो साबित
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार सुपर हीरो साबित हुए। उन्होंने न केवल चाचा शरद पवार को सीटों के मामले में बहुत पीछे छोड़ दिया, बल्कि विरासत भी पा ली।
लोकसभा चुनाव में 3.60% मत पाकर एक सीट जीतने वाले अजीत गुट ने अब 9% मत हासिल किए। वहीं, शरद पवार की एनसीपी ने 86 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से सिर्फ 10 विजयी हुए।
शरद पवार की राजनीतिक कॅरिअर की सबसे बड़ी हार
84 साल की उम्र में शरद पवार राजनीति की सबसे बड़ी शिकस्त खा गए। हालत इतनी खराब रही कि उनकी पार्टी को मिली सीटें अन्य के खाते में गई सीटों के करीब पहुंच गईं। एनसीपी (शरद पवार) को 10 और अन्य के खाते में 08 सीटें रहीं। वहीं, अजीत गुट ने राज्य में सिर्फ 59 सीटों पर प्रत्याशी उतारे और 41 पर जीत हासिल की।
एमवीए की हालत इतनी खराब है कि इसके घटक दलों में से कोई भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर दावा नहीं कर सकता। नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के पास कम से कम 29 विधायक होना चाहिए। इस बार विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के पास सिर्फ 20 विधायक हैं।