हर साल 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव के पीछे मुख्य उद्देश्य किसानों के समाजिक-आर्थिक विकास में योगदान को मान्यता देना और उनके कल्याण के लिए जागरूकता फैलाना है।
किसानों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए हर साल 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि आज पूर्व प्रधानमंत्री और किसान हितैषी नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती है। स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जिन्होंने शुरू से ही किसानों के मुद्दों को उठाया और जब वे भारत के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने किसानों की दशा और दिशा सुधारने के लिए कई प्रयास किए। बहुत कम लोग जानते हैं कि चौधरी चरण सिंह खुद एक किसान परिवार से आते थे और इसीलिए वे किसानों की हर तरह की समस्या से वाकिफ थे।
चौधरी चरण सिंह: किसानों के मसीहा
भारत रत्न चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में हुआ था। किसान परिवार में जन्मे चरण सिंह ने भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लिया और इसके बाद भी वह लगातार किसानों के मुद्दों के लिए सक्रिय रहे। उनके कार्यों और नीतियों ने उन्हें किसानों के मसीहा के रूप में स्थापित किया। पहली बार चरण सिंह 1967 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले उन्होंने मंत्री रहते हुए कई विभागों को संभाला था। चरण सिंह एक बार फिर 1970 में यूपी के मुख्यमंत्री बने थे।
चौधरी चरण सिंह का योगदान
चौधरी चरण सिंह ने किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा संघर्ष किया। उन्होंने 1978 में किसान ट्रस्ट की स्थापना की, जिसका उद्देश्य ग्रामीण जनता को न्याय के बारे में शिक्षित करना और उन्हें एकजुट करना था। उनके द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रमों और योजनाओं ने न केवल किसानों की स्थितियों को सुधारने में मदद की, बल्कि कृषि क्षेत्र में भी स्थिरता और समृद्धि लाने का कार्य किया।
नई कृषि नीति के खिलाफ प्रदर्शन आज
मोदी सरकार द्वारा हाल ही में लाई गई नई कृषि बाजार व विपणन नीति 2024 एक प्रकार से तीन कृषि कानूनों का पिछले दरवाजे से वापसी के समान है जिसे तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर प्रदर्शन किया जा रहा है।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस नीति के लागू होने से देश की कृषि मंडियां तबाह हो जाएंगी और कृषि बाजार पर क्रूर लुटेरी कॉरपोरेट कम्पनियों का कब्जा हो जाएगा। इस नीति के जरिये मोदी सरकार धीरे-धीरे देश की खेती, अन्न के भण्डारण, विपणन सहित खुदरा बाजार को भी कॉरपोरेट कम्पनियों के लिए खोलने का रास्ता बना रही है। मोदी सरकार की इस नई नीति में शामिल प्रमुख सुधारों में निजी थोक बाजारों की स्थापना की जाएगी, कॉरपोरेट प्रोसेसर और निर्यातक सीधे खेत पर जाकर फसलों की खरीद कर सकेंगे। एफसीआई के गोदामों की जगह कॉरपोरेट नियंत्रित गोदामों और साइलो को बढावा दिया जाएगा, एक एकीकृत राज्यव्यापी बाजार शुल्क और व्यापार लाइसेंस प्रणाली शुरू की जाएगी. भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के सदस्य 23 दिसम्बर को सुबह 12 बजे डा. भीमराव अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी बांटेंगे छत्तीसगढ़ समेत 112 राज्यों के 57 लाख स्वामित्व कार्ड
ग्रामीण आबादी क्षेत्र में संपत्तियों का ड्रोन सर्वेक्षण कर सरकार ग्रामीणों को उनकी संपत्ति के स्वामित्व कार्ड दे रही है। पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू की गई इस योजना के तहत अब बड़ी संख्या में स्वामित्व संपत्ति कार्ड बनाए गए हैं। ऐसी 57 लाख संपत्तियों के कार्ड वर्चुअल माध्यम से 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वितरित करेंगे। वह योजना के कुछ लाभार्थियों से संवाद भी करेंगे।
पंचायतीराज मंत्रालय ने स्वामित्व योजना के तहत छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के 46,351 गांवों की 57 लाख संपत्तियों के कार्ड बनाए हैं।
46,351 गांवों में पंचायतीराज मंत्रालय बनाए हैं संपत्ति कार्ड
योजना को लेकर कुछ लाभार्थियों से उनके अनुभव जानते हुए संवाद करेंगे। साथ ही पीएम देशवासियों को भी संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि इस योजना की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ की गई कि गांवों में संपत्ति को लेकर होने वाले विवादों में यथासंभव कमी आए और गांव की संपत्ति का सटीक मूल्यांकन व दस्तावेजीकरण होने के बाद आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीण बैंक से कर्ज भी ले सकें। इसके अलावा सरकार का सोच पूरे गांव के ड्रोन सर्वे के बाद उसके आधार पर बेहतर ग्राम पंचायत विकास योजना आदि बनाने को लेकर भी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में नई भर्तियों के लिए सोमवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये 71 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे। इस मौके पर पीएम लोगों को संबोधित भी करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, रोजगार मेला प्रधानमंत्री की रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रतिबद्धता पूरी करने की दिशा में एक कदम है। पीएम सुबह 10.30 बजे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये ये नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे। रोजगार मेला युवाओं को स्व-सशक्तीकरण में उनकी हिस्सेदारी के लिए सार्थक अवसर उपलब्ध कराएगा। मेले का आयोजन 45 स्थानों पर होगा।