गुलजार साहब ने बॉलीवुड के लिए हर मूड के गाने लिखे. इनमें आइटम सॉन्ग भी शामिल हैं. इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के लिए भी कई खूबसूरत गानों को अपने अल्फाजों में पिरोया. कजराते से लेकर लकड़ी की काठी और जंगल-जंगल बात चली है जैसे गानों को भला कौन भूल सकता है.आज भी ये गाने लोगों के पसंदीदा गानों में शुमार हैं.
18 अगस्त 1934 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में झेलम जिले के दीना गांव में पैदा हुए गुलज़ार ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें किस्मत बंबई (अब मुंबई) लेकर आएगी। लेकिन, ‘किस्मत का कनेक्शन’ ऐसा रहा कि उन्होंने बॉलीवुड में बड़ा नाम कमाया। हॉलीवुड तक उनकी क़लम की गूंज सुनाई देती है। सफर में कई पड़ाव आए लेकिन जो हासिल किया वो लाजवाब रहा। तो आइए झांकते हैं संपूरण सिंह कालरा से गुलज़ार बनने वाले की जिंदगी में!
गुलजार ने डायरेक्ट की हैं ये फिल्में
डायरेक्टर बिमल रॉय के साथ काम करने के दौरान ही गुलज़ार की मुलाकात आरडी बर्मन से हुई। गुलज़ार ने गीत लिखने के साथ फिल्मों का डायरेक्शन भी किया। उन्होंने ‘आंधी’, ‘किरदार’, ‘मौसम’, ‘नमकीन’, ‘लिबास’, ‘हूतूतू’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया। छोटे पर्दे के लिए भी ‘मिर्ज़ा ग़ालिब’ जैसे सीरियल का डायरेक्शन किया। गुलज़ार की ‘माचिस’ फिल्म ने दुनिया को दिखा दिया कि उन्हें शब्दों का जादूगर ऐसे ही नहीं कहा जाता! गुलज़ार को फिल्म फेयर, साहित्य अकादमी, पद्म भूषण, ग्रैमी, दादा साहब फाल्के से लेकर ऑस्कर अवॉर्ड तक मिल चुके हैं।
गुलज़ार ने अपने करियर में कई गाने लिखे। जिनमें ‘तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी’, ‘तेरे बिना ज़िंदगी से कोई शिक़वा तो नहीं’, ‘आने वाला पल जाने वाला है’, ‘मुसाफ़िर हूं यारो’, ‘हजार राहें’, ‘मेरा कुछ सामान’, ‘साथिया’, ‘जय हो’, ‘कजरारे-कजरारे’ जैसे कई गाने शुमार हैं। गुलज़ार की पर्सनल लाइफ सफल नहीं मानी जा सकती है।
हुजूर इस कदर भी न इतरा के चलिये
खुले आम आंचल न लहरा के चलिये
फिल्म- मासूम (1983)
इक दूर से आती है पास आके पलटती है
इक राह अकेली सी रुकती है न चलती है
फिल्म- आंधी (1975)
गुलजार की पत्नी और बेटी
उन्होंने 1973 में एक्ट्रेस राखी से शादी की। लेकिन, दोनों का रिश्ता एक साल के भीतर टूट गया। दोनों अलग-अलग रहने लगे। लेकिन, आज तक एक-दूसरे को तलाक नहीं दिया। दोनों की एक बेटी है, जिनका नाम है मेघना गुलज़ार। मेघना अपने माता-पिता की तरह बॉलीवुड में बड़ा नाम हैं। मेघना डायरेक्टर हैं, जिनकी फिल्में खूब तारीफ बटोरती हैं। गुलज़ार इन्हें प्यार से बोस्की पुकारते हैं।
गुलज़ार आज भी लिख रहे हैं। गीत, कविता, शेरो-शायरी, हर फन में गुलज़ार के शब्दों का सफर जारी है। जैसे गुलज़ार कहना चाहते हैं, ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी, हैरान हूं मैं, तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं…।’