सूचना का हक कानून, मनरेगा, आधार कार्ड और आरटीई के साथ ही अमेरिका के साथ ही असैन्य परमाणु समझौते के लिए हमेशा याद किया जाएगा।उनके परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर कई बड़े नेता उनके आवास पर अंतम दर्शन के लिए पहुंचे हैं. गृह मंत्रालय ने देश भर में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
मनमोहन लंबे समय से बीमार थे। घर पर बेहोश होने के बाद उन्हें रात 8:06 बजे दिल्ली AIIMS लाया गया था। हॉस्पिटल बुलेटिन के मुताबिक, रात 9:51 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली।
मनमोहन सिंह, 2004 में देश के 14वें प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने मई 2014 तक इस पद पर दो कार्यकाल पूरे किए थे। वे देश के पहले सिख और सबसे लंबे समय तक रहने वाले चौथे प्रधानमंत्री थे।
मनमोहन सिंह के निधन के चलते केंद्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। साथ ही शुक्रवार को होने वाले सभी कार्यक्रम कैंसिल कर दिए गए हैं।
मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब में हुआ था। वह 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद पहली बार पीएम पद की शपथ ली थी। उन्होंने 2009 से 2014 तक अपना दूसरा कार्यकाल पूरा किया। उसके बाद 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी ने उनकी जगह ली। 33 साल तक सेवा देने के बाद वे इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो गए थे।
1991 में भारत की अर्थव्यवस्था जब मुद्रा संकट से जूझ रही थी, तब वित्त मंत्री के रूप में मनमोहन सिंह ने सरकार नियंत्रित अर्थव्यवस्था को लाइसेंस राज से मुक्त करना शुरू किया था.इसका नतीजा यह हुआ कि भारत की अर्थव्यवस्था पटरी पर आई और वृद्धि दर भी तेज़ हुई.
प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की उस आख़िरी प्रेस वार्ता
मनमोहन सिंह ने एक बार अपने बारे में “लोग मुझे ‘एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ कहते हैं, लेकिन मैं ‘एक्सिडेंटल वित्त मंत्री’ भी था.”प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह की अंतिम प्रेस कॉन्फ्रेंस तीन जनवरी 2014 को हुई थी, जो एक घंटे से ज़्यादा समय तक चली थी.
मोदी बोले- सौम्यता उनके संसदीय जीवन की पहचान बनी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह ने वित्तीय संकट से घिरे देश को एक नई अर्थव्यवस्था के मार्ग पर प्रशस्त किया। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। जनता के प्रति देश के विकास के प्रति उनका कमिटमेंट उसे हमेशा बहुत सम्मान से देखा जाएगा। डॉ. मनमोहन सिंह जी का जीवन, उनकी ईमानदारी और सादगी का प्रतिबिंब था। उनकी विनम्रता सौम्यता उनके संसदीय जीवन की पहचान बनी।
सम्मान और उपलब्धियां
1987 में उन्हें भारत सरकार ने ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया. उनके नाम पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार दर्ज हैं. डॉ. मनमोहन सिंह अपने सादगीपूर्ण जीवन और ईमानदार छवि के लिए हमेशा जाने जाते रहेंगे. उन्होंने हमेशा देश की प्रगति और आम जनता के हित को प्राथमिकता दी. उनका निधन भारत के लिए एक बड़ी क्षति है. वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने न केवल भारत को आर्थिक संकट से उबारा बल्कि एक समृद्ध और स्थिर देश की नींव भी रखी. उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा.