लेबनान में 17 सितंबर को हुए पेजर विस्फोट में 9 लोगों की मौत हुई. और लगभग 3 हजार लोग घायल हुए. हिजबुल्लाह ने इन विस्फोटों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. और इन हमलों का बदला लेने की कसम खाई है. इजरायल ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पर नए तकनीक का इस्तेमाल कर इस तरह के हमले करने का उसका काफी लंबा इतिहास रहा है!
जगह – ईरान की राजधानी तेहरान. तारीख – 27 नवंबर 2020. हाई सिक्योरिटी जोन से 5 ब्लैक गाड़िया गुजरती है. तभी अचानक एक गाड़ी पर ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगती है. काफिले की गाड़ियां रूकती है. इसी वक्त कुछ ही दूरी पर मौजूद एक पिकअप वैन में जोरदार धमाका होता है. धूल और धुंआ जब छंटता है तो पता लगता है कि इस हमले ने ईरान के टॉप परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की जान ले ली.
ईरान के लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं था. हमले का आरोप हमेशा की तरह ईरान ने इजरायल के सिर मढ़ दिया. इजरायल की जैसी अब आदत हो चुकी है. उसने इस हमले की न तो जिम्मेदारी ली और न ही अपनी भूमिका की बात को खारिज किया. आगे चलकर कुछ ठोस सबूत भी नहीं मिले. जो पुख्ता तौर पर कुछ कहा जाता. बस कुछ दावे, थियरी और खुलासे होते रहे.!
मालूम हुआ कि मिशन के लिए इजरायल लगभग एक साल से तैयारी कर रहा था. इजरायल से एक टन वजन वाली AI फीचर से लैस मशीनगन को स्मगलिंग के जरिए तेहरान में मौजूद एजेंट्स तक पहुंचाया गया. फिर पिकअप वैन खरीदी गई. इसके ऊपर मशीनगन फिट की गई. जो रिमोट से कंट्रोल की गई. और फिर जो हुआ वो अब इतिहास है!
इजरायल के अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने की ऐसी तमाम कहानियां है. 17 सितंबर 2024 को लेबनान में अचानक हजारों पेजर फटने की वजह से एक बार फिर शक की सूई इजरायल की तरफ है. इस धमाके में हिजबुल्लाह समूह के 9 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं करीब 3 हजार लोग घायल हैं. पर इजरायल ने इन आरोपों पर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इजरायल ने भले ही इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली लेकिन दूसरे देशों में घुसकर ऑपरेशन को अंजाम देने का, अपने विरोधियों को मारने का उसका लंबा इतिहास है. कभी फोन बम, कभी कंप्युटर वायरस, कान में जहर का इंजेक्शन तो कभी महज टूथपेस्ट का इस्तेमाल!.