हमर संस्कारधानी छत्तीसगढ़ जेकर भुइयाँ ह किसम-किसम के तीज-तिहार ले हरियर हावय।इहाँ के जम्मो तिहार के अपन बिसेस महत्ता हावय। इही तीज-तिहार म एक सुग्घर तिहार हे ‘पोरा तिहार’।
ए परब आंध्रप्रदेश संग महाराष्ट्र म घलो मनाए जाथे जेन ह सांस्कृतिक यात्रा करत हमर छत्तीसगढ़ पहुँचिस।महाराष्ट्र म एला ‘पोला पर्व’ कहे जाथे पोला माने पोर आना या गर्भ धारण करना अउ हमन एला पोरा कहिथन।
पोरा काबर मनाथन ?
हमर तीज-तिहार मन अधिकतर किसानी ले जुरे हुए हावय। पोरा तिहार घलो सीधा खेती-किसानी ले सम्बन्ध राखथे। ‘भादो मास के अंधियारी पाख (कृष्ण पक्ष) अमावस्या के दिन पोरा तिहार ल मनाथन। कहे जाथे की पोरा के दिन जेन धान के बाली रथे ओमा दूध भरथे मतलब की जेन अन्नमाता हे ओहा गर्भधारण करथे। ए दिन किसान मन खेत म बुता करे बर नइ जावय।
पोरा पटकना – पोरा पटके के पाछु का कारण हे ?
पोरा तिहार के दिन नान्हे नान्हे लईका मन माटी के बईला अउ जाता,पोरा आदि के खेलउना खेलथे।
पोरा एक माटी के खेलउना हरय जेमा तिहार के दिन बने पकवान जइसे बरा,ठेठरी,खुरमी,चीला, जेन भी पकवान बने रथे ओला भर के कोनो देवठाना या पबरित जगह लेग के पटकथे।
एला लइका सियान सबो करथें। एकर पाछु ए मिथ हावय कि आघु जमाना म सेठ-साहुकार मन अपन टोटका करय अउ पोरा म पानी भर के अइसन जगह राखय जिहां ओ पानी भराए पोरा ल कोनो झन देख सकय अउ ओमन अइसे एकर सेती करय ताकि ओ बखत पानी झन गिरय अउ जम्मो फसल बरबाद हो जाए तहान किसान मन फसल बरबादी के बाद सेठ – साहूकार मन कर करजा लेवय इही टोटका ला टोरे बर सियान मन पोरा म सबो पकवान ल भर के भगवान के सुमिरन करथे अउ बने पानी बरसे कहिके पोरा ल पटके के प्रथा चालु करिन ।
बिसेस
खेती-किसानी के बुता सिराए के बाद पोरा तिहार के दिन बइला मन ल मस्त नउंहा-धोवा के ओमन ल आनी बानी जीनिस म सजाथे। ए दिन बइला दऊड़ के आयोजन घलो करे जाथे | बइला दऊड़ के संग आने परकार के खेल के आयोजन घलो करथे
पोरा के कुछ दिन बाद तीजा के तिहार आथे अउ दाई – दीदी मन पोरा के दिन ही अपन मइके जाथे तिजा तिहार ल मनाए बर फेर अब लइका-लोग मन के पढ़ई के चक्कर म महतारी मन करू भात के दिन ही तीजा जाए ल धर ले हे।
बाबू जात मन माटी के नांदिया बइला चलाथे अउ सांकेतिक रूप म किसानी के काम सिखाए के अऊ नोनी मन माटी के खेलउना ले सगा पहुना खेलथे अउ सांकेतिक रूप से ओमन ल घर गृहस्थी के बुता सिखाए के संदेस रहिथे।
कतका सुग्घर हे हमर संस्कृति हमर तीज-तिहार जेन कोनो बिसेस वर्ग तक सिमित नइ हे। अपन संकृति म गरब करव,ओला जानव अउ नवा पीढ़ी तक बगराए के बुता करव।
जय छत्तीसगढ़ महतारी
जोहार
लेख- नागेश कुमार वर्मा,टिकरापारा रायपुर