पूर्व मुख्यमंत्री का आरोप, रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें, किसानों को घंटों खड़ा रहना पड़ रहा
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए समर्थन मूल्य में धान खरीदी को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि किसानों को टोकन नहीं मिल रहा है, मात्र एक मिनट के लिए सर्वर खुलता है, जिससे रजिस्ट्रेशन में दिक्कतें आ रही हैं। इसके चलते किसानों को घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है। बारदाने की कमी बनी हुई है। धान उठाव की नीति में बदलाव कर दिया गया है। धान खरीदी केंद्रों में जमा हो रहा है। राइस मिलरों से एग्रीमेंट तक नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इतने कारण पर्याप्त हैं धान खरीदी नहीं करने के। इसी तरह 21 क्विंटल का बोर्ड लगाया गया है, मगर कहीं भी 21 क्विंटल धान की खरीदी नहीं हो रही है। प्रति एकड़ किसानों को 8 हजार रुपए का नुकसान होगा। कई जिलों के कलेक्टरों ने आदेश कर दिया कि रबी का धान नहीं ले सकते हैं, धान लेंगे तो 50 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। उन्होंने भाजपा सरकार को किसान विरोधी सरकार करार देते हुए कहा कि पिछले साल का 45 प्रतिशत चावल अभी तक जमा नहीं हो पाया है। धान खरीदी को एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन धान के उठाव को लेकर परिवहन नहीं हो रहा है। अभी धान का उत्पादन अच्छा हो रहा है लेकिन साय सरकार किसानों के साथ नाइंसाफी कर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अदाणी के मामले में कहा कि भाजपा प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में 25 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। जितने में कोल खदान का ठेका अदाणी को दिया वह केन्द्र की सरकार ने वर्ष 2015 में दिया था। एसईसीएल जो भारत सरकार का उपक्रम है उस कोयले का ठेका भी अदाणी को दे दिया गया। पूर्ववर्ती डॉ. रमन सिंह की से बैलाडीला की खदान भी अदाणी को दिया गया। सरकार ने एनएमडीसी के माध्यम आदाणी को 2000 करोड़ रुपए का नोटिस दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेताओं ने स्वीकार कर लिया है। अब स्वीकार कर लिया है तो इंडी, सीबीआई अदाणी के खिलाफ कब कार्रवाई करेगी, यह भाजपा के प्रवक्ता और प्रधानमंत्री को बताना चाहिये। भाजपा के नेता और प्रवक्ता अदाणी के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। पूरी सरकार ही अदाणी का प्रवक्ता बन गई है।
ऑनलाइन टोकन व्यवस्था बना किसानों का सिरदर्द, आफलाइन की मांग बढ़ी
किसानों को टोकन कटवाने में बहुत ही ज्यादा समस्या आ रही है। सर्वर डाउन होने से ऑनलाइन टोकन नहीं कट पा रहा है। ऑफलाइन टोकन कटवाने की व्यवस्था भी शासन द्वारा नहीं की जा रही है। जिससे किसान परेशान हो रहे है, किसान कह रहे है कि पहले वाला सिस्टम ही ठीक था लेकिन अभी ऐसा नहीं हो पा रहा पहले 60 प्रतिशत और 40 प्रतिशत के दर से ऑफलाइन और ऑनलाइन टोकन काटा जाता था लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है किसान जो कम पढ़े-लिखे है उन्हें भी ऑफलाइन टोकन कटवाने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कुछ किसानों के पास मोबाइल तक नहीं है,इस बार किसानों को बहुत अधिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि सुबह 9.30 बजे ही टोकन एप्प खुलता है और 2 मिनट के अंदर ही भर जाता है। इस तरह से समस्या चलती रही तो किसानो के धान को बहुत नुकसान हो सकता है ।