कोनो मनखे चाहे वो छत्तीसगढ़ के हो या बाहिर ले आए पहुना ह जब कहिथें “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” तहान जम्मो छत्तीसगढ़िया अउ छत्तीसगढ़ीन मन ह तो फुले नइ समाए। खुस अतिक हो जाथें कि बस “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया ” सुनत ही अपन घर-दुवार,जमीन-जायदाद ल घलो उंकर नाव म कर दिही। जमीन जायदाद तो खैर नानकुन बात आए अपन दाई ददा के नाव घलो बदल डारही अतका खुसी हो जाथे।
छत्तीसगढ़ी के ताकत आपमन ल जब ए बात बतावत हँव की छत्तीसगढ़ी म लिखाए एक लाइन “छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया” ल सुन के जब आपमन के हिरदय ह गदगद हो जाथे त हमर छत्तीसगढ़ी भाखा बोले म आप ल लाज काबर लागथे। छत्तीसगढ़ी के ताकत ले आज पुरा सरकार बदलगे।सुने त होहू “अब नइ सहिबो,बदल के रहिबो”। मोला कोनो सरकार से उम्मीद नइ हे कि ओमन आघु ले हमर भाखा ल मान दिही काबर जेन सरकार हमर छत्तीसगढ़ महतारी के अपमान कर सकथे ओकर से का आसा करबोन।
हम छत्तीसगढ़िया मन ही अपन भाखा बर, अपन संस्कृति, अपन देव धामी, अपनेच तरिया,नदिया बर उदासीन हन चुप हन ता आन परदेस ले आए मनखे तो हमर मुड़ी म बइठ के मुतहीच। एमा हर पढ़े लिखे छत्तीसगढ़िया मन के सबले बड़का गलती हे। एक बात हमन ल स्वीकार करे बर लागही की जबतक हमन अपन भाखा नइ बोलबो, अपन भाखा बर नइ लड़बो तब तक कोनो सरकार हमर भाखा-संस्कृति ल मान नइ देवय।
राजभासा दिवस के बधाई कोन किसम ले देवव जब राजभासा अउ राजगीत जेन राजपत्र म प्रकाशित होए के बाद घलो घिरलत हावय। राजगीत, राजभासा के सम्मान नइ करिस त कम से कम शासकीय राजपत्र के मान राख लेतिस।
गाड़ा चलत हे बिन बइला के
कोन दिसा म जाही का हे ठऊर
बिहाव मढ़ाए,सगा बलाए*
देख दूल्हा रेंगत हे बिन मँउर।
छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस के बधाई झोंकव।
लिखईया:- नागेश वर्मा
@Chhattisgarhiyaa_babu
छत्तीसगढ़ीमांगे न्याय