
यूएस ट्रेड मिशन समाप्त होने से फिलहाल भारत को टैरिफ राहत मिलने के कोई संकेत नहीं है. भारत और अमेरिका इस साल तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते के एक हिस्से को अंतिम रूप देने पर सहमत हो गए हैं, लेकिन किसी भी पक्ष ने दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के लिए किसी भी टैरिफ छूट का संकेत नहीं दिया. दोनों देशों ने इस हफ्ते नई दिल्ली में ट्रेड वार्ता की, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रेसिप्रोकल ट्रेड टैरिफ रिजीम के शुरू होने से कुछ दिन पहले हुई थी, जिसमें 2 अप्रैल से भारत के खिलाफ इपोर्ट ड्यूटी बढ़ाना शामिल है.!
भारत द्वारा अमेरिकी से इंपोर्ट पर लगाए जाने वाली ड्यूटी ट्रंप प्रशासन को संभावित जवाबी टैरिफ के प्रति छूट देता है. भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने शनिवार देर रात एक बयान में कहा कि दोनों पक्ष के अधिकारी पारस्परिक रूप से लाभकारी, मल्टी-सेक्टर बाइलेटरल ट्रेड (BTA) की दिशा में एक समझौते पर पहुंच गए हैं, जिसका लक्ष्य 2025 तक इसके पहले चरण को अंतिम रूप देना है. दोनों देशों ने मार्केट एक्सेस को बढ़ाने, टैरिफ और नॉन-टैरिफ बैरियर्स को कम करने और सप्लाई चेन इंटीग्रेशन को मजबूत बनाने सहित प्रायोरिटी वाले क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की है.!
एक्सपोर्ट में आ सकती है गिरावट
हालांकि बयान में ऐसा कोई सुझाव नहीं दिया गया कि मंगलवार से पहले इन बैरियर्स पर कोई कार्रवाई की जाएगी, जब अमेरिका के ट्रेड पार्टनर्स पर नए टैरिफ लागू होने वाले हैं. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का अनुमान है कि प्रस्तावित टैरिफ के कारण अगले वित्त वर्ष में अमेरिका को भारत के एक्सपोर्ट में 7.3 बिलियन डॉलर तक की गिरावट आ सकती है.
कुछ प्रोडक्ट पर भारत कम कर चुका है टैरिफ
दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने पिछले दो महीनों में हाई- एंड मोटरसाइकिलों और बॉर्बन व्हिस्की सहित कुछ प्रोडक्ट पर टैरिफ में कटौती करके अमेरिका के साथ ट्रेड टेंशन को कम करने का प्रयास किया है. इस हफ्ते के ट्रेड मिशन से पहले भारतीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार एडवरटाइजिंग जैसी ऑनलाइन सर्विसेज पर शुल्क हटाने की पेशकश कर सकती है. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि सरकार कारों, इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल सर्विसेज पर शुल्क में कटौती! करने को तैयार है.!