केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव होंगे मुख्य आतिथि,मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे अध्यक्षता
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 12 अगस्त को शाम 7.30 बजे लाभांडी स्थित स्थानीय होटल में विश्व हाथी दिवस पर आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव होंगे और अध्यक्षता मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय करेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश में लगातार जैव विविधिता व पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की जा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री साय पूर्व में रायगढ़ सांसद भी रह चुके हैं। वे स्वयं जिला जशपुर के ग्राम बगिया जैसे वनांचल क्षेत्रों से आते हैं, जहां हाथियों का अधिक विचरण होता है। वनांचल क्षेत्र में रहते हुए वे स्वयं वनवासियों की जीवन शैली तथा वनों पर उनकी निर्भरता से भलीभांति परिचित हैं। राज्य में मानव- हाथी द्वंद्व की समस्या के कारण हाथियों द्वारा फसल नुकसान, जनहानि तथा संपत्ति की हानि की जाती है। इन सारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विशेष कर वनवासियों के हित में कार्य करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में विश्व हाथी दिवस के परिप्रेक्ष्य में प्रोजेक्ट एलीफेंट की स्टीयरिंग कमेटी की 20वीं बैठक का आयोजन किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी द्वंद्व की रोकथाम, हाथियों से होने वाले जन-धन के नुकसान के बेहतर प्रबंधन के संबंध में सुझाव प्राप्ति के लिए स्टीयरिंग कमेटी में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उच्च अधिकारी, वन्यप्राणी विशेषज्ञ, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कृषि, विद्युत व रेलवे विभाग के अधिकारी सदस्य हैं।
केंद्रीय मंत्री द्वारा हाथी मित्र दल, समाजसेवा संगठन व वन्यप्राणी क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले जनसामान्य नागरिकों से छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में चर्चा करेंगे। साथ ही विभिन्न तकनीकों के माध्यम से जैसे ड्रोन तकनीक, इन्फरमेशन तकनीक के माध्यम से हाथियों के विचरण पर लगातार नजर रखे जाने के संबंध में चर्चा होगी। कार्यक्रम का आयोजन केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा वन व जलवायु परिवर्तन विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किया जा रहा है।
हाथियों के संरक्षण व संवर्धन पर केंद्रित इस राष्ट्रीय स्तर के इस कार्यक्रम में वन मंत्री केदार कश्यप, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, केंद्रीय वन महानिदेशक व विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार, छत्तीसगढ़ के प्रधान मुख्य वन सरंक्षक व वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर कुमार अग्रवाल सहित भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी व एलीफेंट एक्सपर्ट उपस्थित रहेंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का उपयोग हाथी व मानव के बीच टकराव को रोकने के लिए शुरू किया है। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व, धमतरी, गरियाबंद, धरमजयगढ़, कटघोरा, सरगुजा, जशपुर और अंबिकापुर में घूम रहे करीब 300 हाथियों की निगरानी एक विशेष ऐप के माध्यम से की जा रही है। एआई आधारित छत्तीसगढ़ एलीफेंट ट्रैकिंग एंड अलर्ट ऐप पर हाथियों की लोकेशन ट्रैक की जाती है।
सीतानदी उंदती के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि पटाखे फोड़ना, मिर्ची बम का उपयोग, पत्थर मारना, और बिजली की चपेट में आने से हाथी आक्रामक होते हैं। विस्थापित हाथी अधिक आक्रामक होते हैं। अतिक्रमण, अवैध कटाई, सड़क निर्माण, और खदानें भी हाथियों को परेशान करती हैं। हमें इन कारणों को समझकर समाधान निकालना होगा
हाथी-मानव द्वंद्व रोकने पर काम
एक दशक में हाथियों की संख्या प्रदेश में दोगुनी हुई है। जंगल के आसपास बसे ग्रामीणों को सीखना होगा कि हाथियों से कैसे सामंजस्य बनाएं। सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व ने एलीफैंट अलर्ट एप पर काम किया, इसका फायदा भी मिल रहा है। गांव में हाथी मित्र दल भी बना रहे हैं। ताकि मानव से संघर्ष न हो। निगरानी के लिए महावतों को कर्नाटक से ट्रेनिंग दिलाएंगे।
– प्रेमकुमार, एपीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ
छत्तीसगढ़ में लगातार क्यों बढ़ रही हैं मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं?
कोयला खनन का दुष्प्रभाव
भारत सरकार की एक विस्तृत बताती है कि कैसे विकास कार्यों के कारण मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं तेज़ी से बढ़ीं. इस रिपोर्ट के अनुसार खनन, विशेषकर झारखंड और ओडिशा की खुली खदानों के कारण छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में मानव-हाथी द्वन्द में बढ़ोत्तरी हुई.
यही स्थिति छत्तीसगढ़ में बनी और एक के बाद एक खुलते कोयला खदानों के कारण हाथियों का रहवास बुरी तरह से प्रभावित हुआ. भारत में उपलब्ध 32649.563 करोड़ टन कोयला भंडार में से 5990.776 करोड़ टन कोयला यानी लगभग 18.34 फ़ीसदी छत्तीसगढ़ में है. यहां सर्वाधिक कोयले का उत्पादन होता है. पुराने कोयला खदानों का विस्तार या नये कोयला खदानों की शुरुआत उन्हीं इलाकों में हुई, जहां बरसों से हाथी रह रहे थे, जिनमें कोरबा, रायगढ़ और सरगुजा ज़िले शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य के घने जंगलों वाले हसदेव अरण्य के इलाके में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट द्वारा किए गए अध्ययन का हवाला देते हुए बताते हैं कि इस अध्ययन में हसदेव में एक भी नए कोयला खदान खोलने पर मानव-हाथी संघर्ष के इस तरह विकराल होने का दावा किया गया है, जिसे रोक पाना लगभग असंभव होगा. इसके बाद भी इस इलाके में कोयला खदानों के आवंटन का सिलसिला जारी है.