कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कहा है कि फिलहाल वह विदेशी कामगारों के संबंध में दिए गए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहा है। हाई कोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि और पेंशन योजना के दायरे में अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों को शामिल करने के प्रविधानों को यह कहते हुए रद कर दिया है कि यह असंवैधानिक और मनमाना है।
पीटीआई, नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने कहा है कि फिलहाल वह विदेशी कामगारों के संबंध में दिए गए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहा है। हाई कोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि और पेंशन योजना के दायरे में अंतरराष्ट्रीय श्रमिकों को शामिल करने के प्रविधानों को यह कहते हुए रद कर दिया है कि यह ‘असंवैधानिक और मनमाना’ है।
कानून में संशोधन के 15 साल बाद आया कोर्ट का फैसला
कोर्ट का फैसला कानून में संशोधन के 15 साल बाद आया है। इस फैसले से हजारों विदेशी कामगार प्रभावित होंगे, जिन्होंने सामाजिक सुरक्षा योजना में योगदान दिया है या अभी इसका हिस्सा हैं। दरअसल, शिक्षा, लॉजिस्टिक, रियल एस्टेट और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों से जुड़े कुछ लोगों ने कोर्ट में याचिका डाली थी। उनका तर्क था कि ये प्रविधान संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो सभी को समानता का अधिकार देता है।
याचिकाकर्ताओं की शिकायत की थी कि ईपीएफओ का फैसला भारतीय और विदेशी कामगारों के बीच भेदभाव करता है। विदेशी वर्कर्स की सैलरी चाहे कितनी भी हो, वे पीएफ स्कीम के दायरे में आते हैं, जबकि 15,000 रुपये से अधिक सैलरी पाने वाले घरेलू कामगार इससे बाहर हैं। उनका तर्क था विदेशी कामगार भारत में सीमित अवधि के लिए काम करते हैं और उनकी पूरी ग्लोबल सैलरी पर कंट्रीब्यूशन का भुगतान करने से अपूरणीय क्षति होगी।
21 देशों के साथ है भारत का सामाजिक सुरक्षा समझौता
भारत का वर्तमान में 21 देशों के साथ सामाजिक सुरक्षा समझौता है। ये समझौते पारस्परिक आधार पर इन देशों के कर्मचारियों के लिए निरंतर सामाजिक सुरक्षा कवरेज सुनिश्चित करते हैं। ईपीएफओ ने बताया कि जब इन देशों के नागरिक एक-दूसरे के क्षेत्रों में रोजगार लेते हैं, तो उनका सामाजिक सुरक्षा कवरेज निर्बाध रहता है।
सामाजिक सुरक्षा समझौते भारत सरकार द्वारा अपने समकक्षों के साथ स्थापित संप्रभु समझौते हैं। इन समझौतों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय रोजगार के दौरान कर्मचारियों को निर्बाध सामाजिक सुरक्षा कवरेज की गारंटी देना है। ईपीएफओ का मानना है कि समझौतों को अनिवार्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों का पालन करना चाहिए और घरेलू ईपीएफ सदस्यों पर लागू वेतन सीमा का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए।