पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने 42 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की। 2019 में उनके बंगाल से 18 सांसद थे। तृणमूल ने अपनी संख्या 22 से बढ़ाकर 29 की है। कांग्रेस मालदा (दक्षिण) में अपने गढ़ों में से एक को बनाए रखने में कामयाब रही।
दिसंबर 1984: कालीघाट के एक युवा कांग्रेस कार्यकर्ता ने इतिहास रचा। साड़ी और हवाई चप्पल पहने हुए इस युवती ने अविश्वसनीय काम किया और लाल रंग के सबसे बड़े गढ़ में अपना दबदबा कायम किया। जादवपुर से सीपीएम के दिग्गज सोमनाथ चटर्जी को हराना इतनी बड़ी बात थी कि पूरे देश में इसकी चर्चा हुई। यह युवती कोई और नहीं, बल्कि ममता बनर्जी थीं। ममता बनर्जी ने खुद अपनी इस जीत का श्रेय इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस को मिली सहानुभूति लहर को दिया।
मई 2024: ममता बनर्जी जादवपुर के बारो भूतेर मठ (जिसका अनुवाद ‘दर्जनों भूतों का मैदान’ है) में वोट मांग रही थीं। वह भीड़ से समर्थन मांगती हैं। कहती हैं कि जादवपुर सीट एकबार फिर उन्हें दें, ताकि वह लोकसभा में इंडिया गठबंधन की मदद कर सकें, भले ही उनकी पार्टी बंगाल में गठबंधन न हो।
आलोचकों को कई बार गलत साबित किया
पांच दशकों के राजनीतिक करियर में, ममता बनर्जी ने अपने आलोचकों को कई बार गलत साबित किया है। महीनों तक कठिन अभियान चला और पार्टी इसमें सफल हुई। टीएमसी ने बंगाल में 29 सीटें जीतीं – 2014 के बाद लोकसभा में उनका यह दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है, तब उन्होंने 34 सीटें जीती थीं। ममता बनर्जी के पास एक बार फिर खुश होने का मौका है। 2019 में उन्होंने 22 सीटों पर जीत हासिल की थी।
100 से ज्यादा रैलियां और रोड शो किए
108 सार्वजनिक रैलियों और कई रोड शो के साथ ममता बनर्जी ने पार्टी का नेतृत्व किया। एक में उन्होंने अपने दक्षिण कोलकाता के गृह क्षेत्र में 12 किलोमीटर की दूरी तय की। 69 वर्षीय ममता बनर्जी ने उत्तरी छोर पर कूचबिहार से लेकर दक्षिण 24 परगना तक का दौरा किया, जहां बंगाल बंगाल की खाड़ी से मिलता है। वे नंदीग्राम गईं, जहां वह खुद 2021 में हार गई थीं। (भाजपा की कथित चुनावी गड़बड़ियों को लेकर कानूनी लड़ाई अभी भी जारी है)। संदेशखली, गईं जहां उनकी पार्टी के लोगों पर बलात्कार और जमीन हड़पने का आरोप लगा है।