हरियाणा के एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी श्रीनिवास को अपनी पेंशन के लिए 26 साल तक का इंतजार करना पड़ा। 22 मई को जब उसके हक में फैसला आया तो खुशी की जगह गम था। रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी के वकील ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट को बताया कि अब इस पेंशन का लाभ उठाने के लिए न तो श्रीनिवास और न ही उनकी पत्नी जीवित हैं। उन्होंने कहा कि श्रीनिवास को अपने जीवन में जिस मुश्किल का सामना करना पड़ा। उन्हें उम्मीद है कि उनके हक में आए इस फैसले से भविष्य में दूसरों को इन परिस्थितियों से बचाया जा सकेगा।
बिजली बोर्ड में थे श्रीनिवास
श्रीनिवास के मामले में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम में उनके अंतिम पद को लेकर विवाद के कारण उनके सेवानिवृत्ति लाभों को रोक दिया गया था। हरियाणा के भिवानी के बड़ाला गांव के निवासी श्रीनिवास ने अपने करियर की शुरुआत 1959 में तत्कालीन हरियाणा राज्य बिजली बोर्ड के एक कर्मचारी के रूप में की थी। जो बाद में हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम बन गया। 2 अप्रैल, 1998 को समय से पहले सेवानिवृत्ति का विकल्प चुनते समय वे एक सर्कल अधीक्षक थे। हालांकि उन्होंने कभी किसी जांच का सामना नहीं किया था। श्री निवास को इस आधार पर सेवानिवृत्ति लाभ से वंचित कर दिया गया था कि उनकी आखिरी पदोन्नति विवादित थी।
क्यों रोकी गई थी पेंशन
28 अगस्त 1998 को विभाग ने एक पत्र जारी कर कहा कि याचिकाकर्ता को हेड क्लर्क के रूप में सेवानिवृत्त होने का आदेश दिया गया था, न कि सर्कल अधीक्षक के रूप मे। इसका मतलब था कि उनके पेंशन संबंधी लाभ हेड क्लर्क के वेतन के आधार पर तय किए जाएंगे। बता दें कि श्री निवास और उनकी पत्नी के कोई कानूनी उत्तराधिकारी हैं या नहीं इसका अभी पता नहीं चल पाया है।