Kerala High Court: याचिकाकर्ता उमर कोया ने बताया कि उनके पिता कुंजी कोया रोजगार की तलाश में साल 1953 में पाकिस्तान के कराची गए थे और कुछ समय के लिए होटल में हेल्पर के तौर पर काम किया था।
केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें प्रॉपर्टी के मामले में एक व्यक्ति को राहत दी गई है। इस मामले का संबंध 2022-23 से है, जब उमर कोया नामक व्यक्ति ने संपत्ति को जमा करने का प्रयास किया और उससे टैक्स लेने से इनकार किया गया। उन्हें यह बताया गया कि इस मामले में कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया की ओर से निर्देश दिया गया है। न्यायाधीश विजु अब्राहम ने इस मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इसके कारण कोई व्यक्ति दुश्मन नहीं बनता, क्योंकि उनके पिता ने पाकिस्तान में नौकरी की खोज की और कुछ समय के लिए वहां काम किया था।
बता दें कि यह मामला उमर कोया नाम के एक व्यक्ति का है। जो मलप्पुरम के रहने वाले हैं। उमर कोया ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि उनके पिता की संपत्ति को एनिमी प्रॉपर्टी एक्ट, 1968 के तहत जब्त नहीं किया जा सकता। दरअसल, उमर कोया के पिता कुंजी कोया 1953 में नौकरी की तलाश में पाकिस्तान के कराची गए थे। वहां उन्होंने कुछ समय के लिए एक होटल में हेल्पर का काम किया। बाद में वह भारत वापस आ गए गए। 1995 में मलप्पुरम में उनका निधन हो गया।
उमर कोया ने अदालत में यह दावा किया कि पुलिस ने उनके पिता को बिना सबूत के पाकिस्तानी नागरिक घोषित करके उन्हें परेशान किया था। उन्होंने केंद्र सरकार से अपने पिता को भारतीय नागरिक मान्यता दिलाने का अनुरोध किया था। अदालत ने अपने फैसले में इस बात को स्वीकार किया कि कुंजी कोया एक भारतीय नागरिक थे। इसके अतिरिक्त, अदालत ने यह भी निर्णय लिया कि कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया के पास कोई सबूत नहीं है कि उमर कोया ने किसी दुश्मन संग व्यापार किया या दुश्मन फर्म के साथ कोई व्यापारिक संबंध रखा था। इसलिए, अदालत ने कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी ऑफ इंडिया की कार्यवाही को रद्द कर दिया और राजस्व अधिकारियों को याचिकाकर्ता से संपत्ति कर लेने का निर्देश दिया।