जगदलपुर : नारायणपुर जिला मुख्यालय से 3 किमी दूर स्थित गढबेंगाल गांव में रहने वाले चेंदरू, 1960 के दशक में अपने पालतू बाघ के साथ खेलता था। यह अनूठी कहानी स्वीडिश फिल्मकार सैक्सहार्फ को प्रेरित करने वाली थी, जब उन्हें पता चला। सैक्सहार्फ ने इसी विचार से ‘द जंगल सागा’ नामक फिल्म बनाई, जिसमें चेंदरू और उसके पालतू बाघ की अनूठी दोस्ती को दर्शाया गया। यह फिल्म ने अपने अद्वितीय कहानी और चेंदरू के वीरता को दिखाकर अपने प्रशंसकों का दिल जीता। इसके फलस्वरूप, चेंदरू की प्रसिद्धि विश्वभर में फैल गई, और उन्हें समर्पित एक स्वीडिश किताब, ‘चेंदरू द ब्वॉय एंड द टाइगर’, भी लिखी गई। इस किताब का हिंदी अनुवाद बनाकर, अब हर कोई चेंदरू के साहसपूर्ण किस्से को समझ पाएगा। इसके साथ ही, लंबे समय से छत्तीसगढ़ के पाठ्य-पुस्तकों में चेंदरू के जीवन शामिल करने की मांग की जा रही है
इस बीच चेंदरू पर लिखी गई गई किताब का हिंदी संस्करण आने से अब ज्यादा से युवा व अन्य लोग चेंदरू के बारे में जान पाएंगे। किताब को प्रदेश के सभी लाइब्रेरी और स्कूलों में पहुंचाने की तैयारी की जा रही है ,ताकि युवा और बच्चे चेंदरू के साहस को पढ़ पाएं। 100 से अधिक में आकर्षक तस्वीरों वाली इस किताब इस में बस्तर के मोगली चेंदरू के जीवन का बखूबी चित्रण किया गया है।
चेंदरू पर पहली बार प्रकाशित हुई किताब, जो हिंदी में उनके जीवन के वृत्त को सचित्रित करती है, इसे बहुत प्रशंसा मिल रही है। बस्तर के जागरूक नागरिकों की मांग है कि यह किताब अब सभी स्कूल और छात्रावासों तक पहुंचाई जाए। यहां तक कि बच्चे और युवा इसे पढ़कर चेंदरू के साहसपूर्ण इतिहास को जान सकें। इससे बस्तर के पहले हॉलीवुड कलाकार और उनके पालतू बाघ के साथ के अनुभवों का प्रसार होगा, और नई पीढ़ी को उनकी कहानी से प्रेरणा मिलेगी।
पुत्र जयराम ने प्रकाशित की दुर्लभ तस्वीरें: बस्तर के लोक साहित्यकार रुद्रनारायण पाणिग्राही ने स्वीडिश किताब ‘चेंदरू द ब्वाय एंड दी टाइगर’ का हिंदी अनुवाद किया है। इस किताब में चेंदरू और उसके पालतू बाघ टेंबू के खेलने से लेकर उनके पूरे जीवन को बखूबी दर्शाया गया है, जो उनके पुत्र जयराम मंडावी द्वारा उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के साथ समृद्ध किया गया है।