विदेश मंत्रालय के मुताबिक नौकरियों का वादा कर भारतीयों को कंबोडिया ले जाया गया। लेकिन कंबोडिया पहुंचने के बाद इनके पासपोर्ट ले लिए गए और इन्हें ऐसे काल सेंटरों में काम करने के लिए बाध्य किया गया जो भारतीयों को साइबर ठगी का शिकार बनाते हैं। हाल ही में कंबोडिया से 14, म्यांमार से आठ और लाओस से 13 भारतीय युवाओं को मुक्त कराया गया है।
अगर आप कंबोडिया, लाओस और म्यांमार में नौकरी करने के लिए जाने वाले हैं या जाना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। इन देशों में नौकरी करने जाने वाले भारतीय युवाओं से साइबर क्राइम कराया जाता है। अगर वे मना करते हैं तो उनको पीटा जाता है। हाल ही में कंबोडिया और लाओस के भारतीय दूतावास की ओर से फर्जी नौकरी के नाम पर मुक्त कराए गए भारतीय युवाओं से अपने दर्द की कहानी बयां की है।
युवाओं का कहना है कि यहां जो पढ़े-लिखे युवा आते हैं, उनसे साइबर क्रिमिनल धोखाधड़ी जैसे फोन कॉल से स्कैम के लिए भारतीयों को फोन कराते हैं। क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर धोखाधड़ी कराते हैं। इसके अलावा जो अनपढ़ होते हैं, उनसे खनन और लकड़ी के कारखाने में मजदूरी कराई जाती है। ऐसा करने से मना करने पर उनको पीटा जाता है। हाल ही में कंबोडिया से 14, म्यांमार से आठ और लाओस से 13 भारतीय युवाओं को मुक्त कराया गया है। दूतावासों ने युवाओं की भारत वापसी के लिए काम शुरू कर दिया है।
दुबई में साक्षात्कार और लाओस में नौकरी
लाओस के साइबर क्राइम केंद्रों से 13 भारतीयों को मुक्त कराया गया। भारतीय दूतावास ने कहा कि युवाओं की भारत वापसी कराई गई है। बताया गया कि लाओस में गोल्डन ट्राइएंगल स्पेशल इकोनॉमिक जोन में कॉल सेंटर और क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी में शामिल कंपनियां युवाओं को डिजिटल सेल्स और मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव और कस्टमर सपोर्ट सर्विस में नौकरी देती थीं। कंपनियों के एजेंट दुबई, बैंकॉक, सिंगापुर और भारत में युवाओं का साक्षात्कार और परीक्षा लेते थे। इसके बाद इनको थाईलैंड के रास्ते लाओस में सीमा पार लाया जाता था। इसके बाद लाओस में काम कराने के लिए बंदी बना लिया जाता था। दूतावास ने बताया कि अब तक ऐसे 518 भारतीयों को बचाया गया है।
कंबोडिया से मुक्त कराए गए 650 भारतीय
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक नौकरियों का वादा कर भारतीयों को कंबोडिया ले जाया गया। लेकिन कंबोडिया पहुंचने के बाद इनके पासपोर्ट ले लिए गए और इन्हें ऐसे काल सेंटरों में काम करने के लिए बाध्य किया गया जो भारतीयों को साइबर ठगी का शिकार बनाते हैं। पुलिस को इस बड़े घोटाले के बारे में पिछले साल के अंत में पता चला जब केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने दावा किया कि उसके साथ 67 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है और शिकायत दर्ज कराई। कंबोडिया से अब तक 650 भारतीयों को साइबर अपराधियों के चंगुल से बचाकर भारत भेजा जा चुका है। इनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं।
म्यांमार से बचाए गए आठ लोग
म्यांमार के हपा लू म्यावाड्डी से नौकरी के नाम पर लाए गए आठ भारतीयों को बचाया गया। म्यांमार में भारतीय दूतावास ने बताया कि म्यांमार पुलिस ने आठ भारतीयों को मुक्त कराया है। म्यांमार के अधिकारियों की सहायता से फर्जी नौकरी रैकेट का भंडफोड़ किया गया।
दूतावास ने जारी की एडवाइजरी
कंबोडिया के भारतीय दूतावास ने लोगों से अपील की है कि वे कंबोडिया और अन्य किसी देश में नौकरी की पेशकश को लेकर सावधानी बरतें। संदिग्ध गतिविधि मिलने पर दूतवास को सूचना दें। अप्रैल में भी दूतावास ने फर्जी नौकरियों को लेकर एडवाइजरी जारी की थी। दूतावास ने कहा था कि कंबोडिया में आकर्षक नौकरी के फर्जी वादों के लालच में आकर भारत के लोग मानव तस्करों के जाल में फंस रहे हैं। भारत के लोग केवल अधिकृत एजेंटों के माध्यम से कंबोडिया आएं और नौकरी देने वालों के बारे में अच्छे से जांच करें।