छत्तीसगढ़ी फिल्म के पितामह मनु नायक ने बताया अपूर्णीय क्षति
रायपुर, 25 जुलाई । छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ सुप्रसिद्ध फिल्म कलाकार शिवकुमार दीपक का आज गुरुवार को निधन हो गया। उनकी अंतिम यात्रा कल 26 जुलाई को उनके गृह ग्राम पोटिया कला, जिला दुर्ग से निकाली जाएगी। इस खबर से संपूर्ण कला जगत में शोक की लहर फैल गई है।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों में कॉमेडियन की फेहरिस्त में उनका नाम टॉप पर रहा है। शिवकुमार दीपक की उम्र लगभग 90 के आसपास रही है, पर उनका अभिनय उनकी सांसों में समाया हुआ था। उनका हर कदम एक्टिंग के लिए समर्पित रहा। छत्तीसगढ़ की पहली फिल्म कहि देबे संदेश से अभिनय की शुरुआत हुई और घरद्वार में भी एक्टिंग की। बता दें कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में ये दोनों फिल्में मील का पत्थर मानी जाती हैं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने निर्माता निर्देशक प्रेम चंद्राकर, सतीश जैन, संतोष जैन के साथ दूरदर्शन से लेकर बीबीसी के कार्यक्रमों में अपने अभिनय की उम्दा छाप छोड़ी थी। कल उनके गृह ग्राम पोटिया कला में उन्हें श्रद्धांजलि देने कलाकार बड़ी संख्या में एकत्रित होंगे।
शोक संदेश में सीएम ने लिखा कि, छत्तीसगढ़ की पहली फिल्म कहि देबे संदेस से अपने अभिनय की शुरुआत करने वाले, वरिष्ठ कलाकार श्री शिवकुमार दीपक जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। उनका निधन छत्तीसगढ़ी फिल्म और कला जगत की अपूर्णीय क्षति है। ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति और परिजनों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं। ॐ शांति।
बचपन में करते थे रामलीला शिवकुमार बचपन से रामलीला देखते और उसमें अभिनय करते थे। सही मायने में रामलीला से ही अभिनय का जुनून जागा। पोटिया से मिडिल और दुर्ग से मेट्रिक के बाद रायपुर के दुर्गा कॉलेज में पढ़ाई। नाटकों में हमेशा रुझान रहा। रामचंद्र देशमुख ने मुझे नाचा-गम्मत में देखा था। उन्होंने चंदैनी गोंदा मंडली बनाई। उसमें लंबे वक्त तक काम किया। देशमुखजी के निधन के बाद म्युजिक डायरेक्टर खुमान साव ने मंडली को आगे बढ़ाया।
5 भाषाओं में किया काम शिवकुमार ने छत्तीसगढ़ी के अलावा हिंदी, मालवी, भोजपुरी और अफगानी भाषा की फिल्में काम किया। उन्हें मया देदे मया लेले में कचरा के किरदार काफी सुर्खियां मिलीं।
ये हैं प्रमुख छत्तीसगढ़ी फिल्में
पठौनी के चक्कर, तीजा के लुगरा, तोर संग जीना संगी तोर संग मरना, छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा, मया देदे मयारू, मयारू भौजी, मया के चिठ्ठी, ए मोर बांटा, टुरी नंबर-1,परदेशी के मया, तोर मया के मारे।’कारी’, ‘दुरी नं. 1’, ‘लेड़गा नं 1’, ‘दो लफाडू’, ‘टेटकूराम’, ‘मयारू भौजी’, ‘ये है राम कहानी’, ‘तहूं दिवाना महूं दिवानी’, ‘धरती मैया’, ‘मितान 420’, ‘धुरंधर’, ‘सोन चिरैया’, ‘बाटा’, ‘सलाम छत्तीसगढ़ी’, ‘भोला छत्तीसगढ़ीया’ इस तरह करीब 50 छत्तीसगढ़ी फिल्म में तथा 25 वीडियो फिल्मों में काम किया।
बॉलीवुड की दो फिल्मे शिवकुमार ने अपनी कलाकारी का लोहा बॉलीवुड में भी मनवाया।इसी दौरान मालवी भाषा की फिल्म ‘भादवा माता’ में भूमिका निभाई तथा बंबई के निर्माता के भोजपुरी फिल्म ‘सीता’ तथा ‘गांव आजा परदेशी’ में हास्य भूमिका किया। इसी काल में दो हिंदी फिल्मों में काम करने का आफर मिला। बंबई के कलाकारों के साथ हिंदी फिल्म ‘हल और बंदूक’ तथा ‘सौभाग्यवती’ में हास्य एवं चरित्र भूमिका निभाई। सुहागन में रजा मुराद के समधी बने तो हल और बंदुक में मुनीम का रोल प्ले किया। भोजपुरी फिल्म में गोविंदा के भांजे कृष्णा अभिषेक के साथ काम किया। कृष्णा और शिवकुमार की दोस्ती भी हुई। कृष्णा ने मुंबई बुलाया लेकिन जॉब और फैमिली के चलते वे स्थायी रूप से वहां नहीं जा पाए।