भारत और पाकिस्तान को विभाजित करने के लिए खींची गई लाइन है रेडक्लिफ. 1947 में आजादी के बाद 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन खींची गई थी, जिसके बाद भारत से कटकर एक नए देश पाकिस्तान का जन्म हुआ. भारत को दो भागों में बांटने का काम ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने किया था. इन्हीं के नाम पर इस बंटवारे की रेखा का नाम रखा गया था.
भारत के आखिरी वायसराय लार्ड माउंटबेटन को भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कराना था। उनके सामने समस्या थी कि बॉर्डर कौन बनाएगा? माउंटबेटन ने कई लोगों के नाम पर मंथन किया, लेकिन उन्होंने सर सिरिल रेडक्लिफ को चुना।
रेडक्लिफ उस समय इंग्लैंड के बेहतरीन जजों में से एक थे। उन्होंने इससे पहले कभी ये काम नहीं किया था। उन्होंने कभी किसी देश की सीमा बांटने के बारे में सोचा तक नहीं था। इससे पहले वे कभी भारत भी नहीं आए थे।
जब कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि वो आदमी जिसने भारत देखा भी नहीं है, वो इसका बंटवारा कैसे करेगा। तब ब्रिटिश सरकार ने जवाब दिया कि ये बुराई नहीं अच्छाई है, जो कभी भारत नहीं आया वो निष्पक्षता से बिना भेदभाव के बंटवारा करेगा।
इसलिए खींची गई थी विभाजन की रेखा
रेडक्लिफ लाइन को खींचने की आवश्यकता इसलिए पड़ी ताकि मुस्लिम बाहुल्य वाले क्षेत्र से पाकिस्तान बनाया जा सके और हिंदू व सिख बाहुल्य वाली आबादी के क्षेत्र से हिंदुस्तान बनाया जा सके।
लाहौर चला गया पाकिस्तान में
किसी ने सोचा नहीं था कि पंजाब के टुकड़े होंगे और लाहौर पाकिस्तान में चला जाएगा। उस वक्त लाहौर में हिंदुओं की बड़ी आबादी रहा करती थी। फैसले के बारे में पता चलते ही सभी ने अपना बोरिया बिस्तर बांधना शुरू कर दिया। अविभाजित भारत की 1947 में आबादी 39 करोड़ थी और विभाजन के बाद 33 करोड़ लोग भारत में , 3 करोड़ पश्चिमी पाकिस्तान में और 3 करोड़ पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश ) में गए।
अंग्रेजी सेना को भेज दिया गया वापस
एक बार सीमा तय हो जाने के बाद लग 1.5 करोड़ लोगों को एक तरफ से दूसरी तरफ जाना था। माउंटबेटन को पता था कि ऐसी परिस्थिति में दंगे भड़क सकते हैं। इसलिए उसने अपनी आधी से ज्यादा सेना को वापस इंग्लैंड भेज दिया। आंकड़ों के अनुसार करीब 72 लाख लोग भारत से पाकिस्तान से आए और 72 लाख पाकिस्तान से भारत आए। इनमें से अधिकतर हिंदू और सिख समुदाय के थे।