शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय समारोह में प्रदेश के तीन महान साहित्यिक विभूतियों के नाम पर तीन शिक्षकों को राज्य शिक्षक सम्मान से नवाजा जाएगा. इनमें बिलासपुर जिले की व्याख्याता डॉ रश्मि सिंह धुर्वे को ”डॉ पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी स्मृति पुरस्कार”, कबीरधाम जिले के शिक्षक राजर्षि पाण्डेय को ”डॉ मुकुटधर पाण्डेय स्मृति पुरस्कार”, दुर्ग जिले की उच्च वर्ग शिक्षक डॉ सरिता साहू को ”डॉ बलदेव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार” प्रदान किया जाएगा.मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर उन्हें नमन किया
सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज यहाँ अपने निवास कार्यालय में पूर्व राष्ट्रपति भारतरत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर उनके छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया। उन्होंने शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी शिक्षकों और प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने इस दौरान अपने सभी गुरुओं का स्मरण किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन को देशभर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। वे महान दार्शनिक और शिक्षक रहे हैं। देश को शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाने में उनका योगदान अतुलनीय है। उन्होंने कहा कि मैंने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है, उनमें मेरे गुरुओं की बड़ी भूमिका रही है। जीवन के हर पड़ाव में मुझे गुरुओं का आशीष मिला है। जीवन को सही दिशा देने और चुनौतियों से लड़ने के लिए शिक्षक आपको तैयार करते है। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षक उच्च नैतिक मूल्यों को विद्यार्थियों के जीवन में उतारकर अच्छा नागरिक तैयार करने में अपनी सर्वोच्च भूमिका निभाते है। मुझे विश्वास है कि डॉ. राधाकृष्णन के पदचिन्हों पर चलते हुए देश और समाज को सकारात्मक दिशा देने में आगे भी शिक्षकगण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
राजनांदगांव शहर की पूर्व माध्यमिक शाला बघेरा में एलबी शिक्षक के रूप में पदस्थ मधुलिका विश्वकर्मा बच्चों को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने में विशेष योगदान के चलते पहचानी जाती हैं। इसके लिए उन्होंने सरकारी मदद का भी इंतजार नहीं किया। अपने वेतन के पैसे से स्कूल में एलईडी स्क्रीन और प्रोजेक्टर लगवाया है, जिसके माध्यम से बच्चों को बेहतर शिक्षा दी जा रही है। इसके बाद उन्होंने स्कूल में साइंस की पढ़ाई को आसान बनाने के लिए 150 टीएलएम (टीचिंग लर्निंग मटेरियल) कॉर्नर का निर्माण कराया है। इसकी सहायता से कक्षा में अध्यापन का कार्य आसान हो गया है। नवाचार या इनोवेशन के जरिए शिक्षा को सरल बनाने के लिए भी वे लगातार काम रही हैं। इसके लिए उन्हें ज्ञानदीप पुरस्कार भी मिला चुका है। विगत 14 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ीं मधुलिका ने बताया कि गांव में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। उनकी कोशिश रहती है कि बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिल सके। निजी शालाओं की तर्ज पर शासकीय शालाओं के बच्चों को भी आधुनिक शिक्षा का लाभ मिल सके, इसके लिए उन्होंने स्वयं के व्यय से स्कूल में एलईडी और प्रोजेक्टर की व्यवस्था की है।
स्मार्ट क्लास की सहायता से डिजिटल चीजों जैसे रील बनाना, पॉडकास्ट एवं वीडियो एडिटिंग की समझ बच्चों में विकसित करने की पहल भी जा रही है।बच्चों में विज्ञान के प्रति समय -समय पर विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन भी वे कराती रहती हैं। यही कारण है कि इस शाला के कई होनहार बच्चे राज्यस्तरीय विज्ञान मॉडल प्रदर्शनी में भी अपनी सहभागिता निभा चुके हैं।
शिक्षक दिवस पर छत्तीसगढ़ के 55 शिक्षकों को सम्मानित किया गया. बिलासपुर, कवर्धा और दुर्ग के तीन शिक्षकों को स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 52 टीचर्स को राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार से नवाजा गया.
राज्य शिक्षक सम्मान स्मृति पुरस्कार 2024: शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्य स्तरीय समारोह में प्रदेश के तीन महान साहित्यिक विभूतियों के नाम पर 3 शिक्षकों को राज्य शिक्षक सम्मान से नवाजा गया. इनमें बिलासपुर की व्याखाता डॉ. रश्मि सिंह धुर्वे को डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी स्मृति पुरस्कार, कबीरधाम के शिक्षक री राजर्षि पाण्डेय को डॉ. मुकुटधर पाण्डेय स्मृति पुरस्कार, दुर्ग की उच्च वर्ग शिक्षक डॉ. सरिता साहू को डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र स्मृति पुरस्कार दिया गया.
राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार 2023-24: राज्यपाल शिक्षक सम्मान पुरस्कार वर्ष 2023-24 से सम्मानित होने वाले 52 शिक्षकों में दंतेवाड़ा की व्याख्याता नेहा नाथ और शिक्षक एलबी कुमारी माधुरी उके, सरगुजा की प्रधान पाठक मधु सोनवानी और व्याख्याता नीतु सिंह यादव, सूरजपुर की व्याख्याता एलबी रीता गिरी और प्रधान पाठक विनिता सिंह, बालोद जिले के व्याख्याता एलबी धमेंन्द्र कुमार और व्याख्याता डॉ. भरतलाल साहसी, जशपुर के व्याख्याता एलबी टुमनु गोसाई और अयोध किशोर गुप्ता, सुकमा की प्रधान पाठक जयमाला और हपका मुत्ता के नाम शामिल है.