जेलेंस्की की नजर में समस्या यह है कि ये देश युद्ध को समाप्त करने की जरूरत तो बताते हैं, लेकिन अपने आर्थिक स्वार्थ के लिए रूस के साथ व्यापार को आगे भी बढ़ा रहे हैं। वे युद्ध पर कोई रुख अपनाने से बचने के लिए बातचीत की आवश्यकता का हवाला देते हैं। इसलिए, जेलेंस्की की रणनीति अब दोहरी जान पड़ती है। उनकी रणनीति है कि तटस्थ देशों को रूस का परोक्ष समर्थक करार दें और जो शांति लाने की बात करते हैं, उन पर इस दिशा में कदम उठाने का दबाव बनाएं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने भारत पर तीख़ी प्रतिक्रिया दी है. ज़ेलेंस्की ने कहा है कि भारत को अपनी एक स्थिति तय करनी चाहिए.
राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने अंग्रेज़ी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ से बातचीत में कहा है कि भारत को केवल ‘हम युद्ध के ख़िलाफ़ हैं’, से आगे बढ़ना होगा.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकने में भूमिका निभा सकते हैं.
जेलेंस्की ने कहा, “भारत का वैश्विक प्रभाव है। रूसी अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव है। रूस से कई देशों ने तेल खरीदना बंद कर दिया था, लेकिन भारत का बाजा खुला है।” ज़ेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने रूस से भारत की तेल खरीद के बारे में मोदी के साथ खुलकर बात की। इससे रूस को अरबों डॉलर की आय हो रही है, जो रूस की सेना को वित्तपोषित करने में मदद करती है।