रायपुर : आज झीरम हत्याकांड की 11वीं बरसी है. आज से ठीक 11 साल पहले माओवादियों ने बड़े ही निर्मम तरीके से कांग्रेस के दिग्गज 30 नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. हत्याकांड इतना विभत्स और दिल दहलाने वाला था कि पूरा देश उसे देख कांप गया. माओवादी हिंसा से जो लोग वाकिफ नहीं थे उनके कारनामों को देख डर गए. माओवादियों के वेल्ड प्लैन्ड हमले में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से खत्म हो गया. माओवादियों के खूंखार हमले में तब के सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार और दिग्गज नेता नंद कुमार पेटल भी मारे गए. पटेल के आलावा विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार की भी मौत हो गई.
25 मई 2013 की शाम को दरभा ब्लाक के झीरम में नक्सलियों ने जिस तरह खूनी खेल को अंजाम दिया, उसने देश-प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में नक्सल आतंक की इस घटना को चर्चित कर दिया। इस घटना में बस्तर टाइगर महेन्द्र कर्मा, पूर्व गृहमंत्री नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत कांग्रेस के कई कद्दावर नेता मारे गए। नक्सलियों का यह खूनी खेल संभाग मुख्यालय के समीप घटित हुआ जो बस्तर के इतिहास में काला अध्याय साबित हुआ। उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी
झीरम घटना में 25 मई 2013 को बस्तर के सबसे कद्दावर नेता महेन्द्र कर्मा सहित छत्तीसगढ़ के काई दिग्गज नेताओं ने जान गंवाई थी। जिन परिवार ने अपनों को खोया है उन्हें आज भी इस बात का मलाल है कि 11 साल में असली गुनाहगार पकड़ है। एनआई और एसआईटी जांच के अलावा स्थानीय पुलिस की जांच में भी क्या कुछ हुआ, इससे लोग अनभिज्ञ है।
NIA पर ठीक से जांच नहीं करने का आरोप लगाकर झीरम कांड में दिवंगत कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने जून 2020 में दरभा थाने में FIR दर्ज कराई थी. उनकी रिपोर्ट पर पुलिस ने धारा 302 और 120 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया था. जितेंद्र ने अपने FIR में कहा है कि NIA ने इस घटना में राजनीतिक षड्यंत्र की जांच ही नहीं की है. उन्होंने झीरम मामले की जांच राज्य सरकार के अधीन जांच एजेंसी को सौंपने की मांग उठाई थी.