रायपुर गजेन्द्र डोंगरे : बुद्ध जयंती या बैसाक पूर्णीमा दुनिया भर में बौद्धों के त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है।यह मई वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, इसे भगवान बुद्ध के जीवन की सभी महत्वपूर्ण घटनाओं त्रिगुणी तीन बार धन्य दिन के रूप में मनाया जाता है। बुद्ध जयंती का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन उनका जन्म ज्ञान की प्राप्ति और निर्वाण प्राप्त हुआ था। ( 1. लुंबनी मे उनका जन्म 2. बुद्ध गया मे ज्ञान की प्राप्ति 3. कुशी नगर मे महा परिणिर्वाण मे प्रवेश) इस लिए आज की पूर्णिमा को त्रिगुणी पूर्णिमा भी कहते है और उनके जन्म के कारण जयंती मनाई जाती हैं। 563 ई. पूर्व. वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म लुंबिनी में शाक्य राज्य राजा शुद्धोधन जो वर्तमान में नेपाल है में हुआ था। जो बाते उन्हे विचलित की थी उसमें उन्होंने जो देखा था (बुढ़ापा, बीमारी और मृत्यु) और वे सत्य की तलाश में गृह त्याग कर निकल गए थे। बैशाक पूर्णिमा के दिन ही बोध गया में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हे बुद्धत्व (ज्ञान की प्राप्ती) हुई थी। 80 वर्ष की आयु में कुशी नगर में उनका महापरिनिर्वाण हुआ था। आज पूरे विश्व में बौद्ध धम्म को मानने वाले 180 करोड़ से अधिक लोग हैं। बुद्ध धम्म के अनुयाई जापान, इंडोनेशिया, श्रीलंका , नेपाल और अन्य देशों में है। बुद्ध की महत्व पूर्ण शिक्षा में आस्तांगिक मार्ग और 4 आर्य सत्य है 1. संसार में दुख है ( दुनिया दुख से भरी हैं)। 2. दुख का कारण है (इच्छा दुख का कारण बनती है) 3. इसका निवारण हैं (दुख का निवारण हैं)।4. इच्छा से छुटकारा पाने से दुख दूर हो जाएगा। बुद्ध की शिक्षा बहुत ही बड़ी हैं कम शब्दों में इसे बया नहीं कर सकते है। आज जयंती विशेष पर बुद्ध की शिक्षा पर चिंतन करने का समय है।”बुद्ध पुर्णिमा”,सभी जीवित प्राणियों पर दया व करुणा की शिक्षा सिखाता है। ज्ञान एकाग्रता और अनुशासन पर बुद्ध की शिक्षा आधुनिक समय में भी प्रासंगिक है। बौद्ध धम्म ने अहिंसा, जीवन के प्रति सम्मान और महिलाओं के लिए समानता की शिक्षाओ के कारण लोकप्रियता हासिल की हैं। पुनः आप सभी को उनकी जयंती के अवसर पर बहुत बहुत शुभकामनाएं।
4 October 2024/
No Comments