क्यों किया गया आलेंगाडन का दाह संस्कार?
फादर आलेंगाडन के करीबियों के मुताबिक, उनके नाम पर कोई जमीन जायदाद नहीं थी. फादर आलेंगाडन हमेशा कहते थे कि मौत के बाद उन्हें दफनाने के बजाय विद्युत शवदाहगृह में उनका दाह संस्कार किया जाए. दरअसल वह नहीं चाहते थे कि उनकी कब्र बनाने के लिए छह फुट से ज्यादा जमीन पर कब्जा किया जाए. इसीलिए 26 मार्च को अस्पताल में मृत्यु होने के बाद 28 मार्च 2023 को उनका दाह संस्कार किया गया.
मृत्यु के बाद शव को दफनाने की परंपरा यहूदियों ने शुरू की थी. इजरायल या पश्चिमी देशों में मौसम ज्यादातर समय बहुत ठंडा रहने के कारण लकड़ी और आग जलाना आसान नहीं होता था. ऐसे में यहूदी धर्म के मानने वालों ने शवों को दफनाने की परंपरा को अंतिम संस्कार के तौर पर अपनाया. यहूदियों के बाद शव दफनाने की परंपरा को ईसाई धर्म के लोगों ने भी अपना लिया. ईसाई धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता के कारण भी शव को ताबूत में रखकर दफनाने की परंपरा है. ईसाइयों में शव का सिर पूर्व दिशा में रखने की परंपरा है.
ईसाइयों में दाह संस्कार की मनाही क्यों?
ईसाई धर्म में शव को दफनाने की परंपरा को दुनियाभर में माना जाता है. ईसाई धर्म में शव के दाह संस्कार पर आपत्ति जताई जाती है. दरअसल, उनका मानना है कि दाह संस्कार से शरीर पूरी तरह नष्ट हो जाता है और मृत व्यवक्ति के पुनर्जन्म की अवधारणा में हस्तक्षेप करता है. यही नहीं, ईसाई धर्म में शव को दफनाने के बजाय जलाने को ज्यादा अमानवीय भी माना जाता है. हालांकि, अब धीरे-धीरे प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक ईसाइयों में सिर्फ दफनाने या दाह संस्कार की मनाही की धारणा गायब होती जा रही है. हालांकि, अब भी पूर्वी रूढ़िवादी चर्च दाह संस्कार को मना करते हैं.