छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने डिप्टी सीएम विजय शर्मा को नक्सलियों से सुझाव और कवर्धा एक्सीडेंट को लेकर घेरा. बघेल ने कहा कि डिप्टी सीएम तय ही नहीं कर पा रहे कि बस्तर में नक्सलवाद पर कैसे लड़ाई लड़नी है. कभी शर्मा नक्सलियों को बात करने बुलाते हैं कभी फोन करने का ऑफर देते हैं अब नक्सलियों से ही सुझाव मांग रहे हैं. भूपेश ने कहा कि कवर्धा एक्सीडेंट में 15 लोगों की मौत हादसे में हुई लेकिन बाकी के 4 लोगों की जान लापरवाही से गई.
रायपुर: नक्सलियों से सुझाव लेने के डिप्टी सीएम विजय शर्मा के बयान पर बघेल ने चुटकी ली. उन्होंने कहा कि ये मूर्खतापूर्ण काम है. इस समय पुनर्वास नीति की बात कर रहे हैं. जितने नक्सलियों ने भी सरेंडर किया वो पुनुर्वास नीति के तहत ही किए गए हैं. भाजपा शासन काल में सरेंडर करने वाले नक्सलियों को मकान तक नहीं मिले. हमने दंतेवाड़ा में फ्लैट बनवाएं, सरेंडर नक्सलियों को चाभी सौंपी.
विजय शर्मा जिस दिन गृहमंत्री बने उस दिन उन्होंने कहा कि नक्सलियों से बात करेंगे. फिर उन्होंने कहा नक्सली उनसे टेलीफोन पर बात कर सकते हैं. कितने नक्सलियों ने उनसे बात की. किस नक्सलियों से उन्होंने बात करने की कोशिश की. अब नक्सलियों से सरेंडर नीति के बारे में पूछ रहे हैं. पहले नक्सलियों से मीटिंग को लेकर जवाब दें.- भूपेश बघेल, पूर्व सीएम
कांग्रेस सरकार बनने पर झीरम की होगी जांच: झीरम मामले की जांच रिपोर्ट पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा “एनआईए से कई बार हमने कहा कि जांच राज्य सरकार को सौंप दें, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. गृहमंत्री के साथ हुई बैठक में उपाध्यक्ष के रूप में मैंने खुद जांच रिपोर्ट सौंपने की मांग भी उठाई. एनआईए, गृहमंत्री और होम सेक्रेटरी को चिट्ठी लिखी. एनआईए ने उस दौरान उन्होंने कहा कि आप चिट्ठी मत लिखिए, हम आपको दे नहीं पाएंगे. इसका मतलब झीरम कांड में षड़यंत्र हुआ था. जिसे छिपाने की कोशिश की जा रही है. ये मजाक कर रहे हैं कि जेब में रिपोर्ट है.
विजय शर्मा की हिम्मत है कि मेरी जेब से रिपोर्ट निकालेंगे. आप सत्ता में बैठे हैं इसका मतलब ये नहीं कि आप किसी की भी जेब में हाथ डाल देंगे. हम सरकार में आएंगे तो जांच करेंगे.- भूपेश बघेल, पूर्व सीएम
भूपेश बघेल ने निर्वाचन आयोग पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा “जब मतपत्र से वोट डालते थे तब 24 घंटे के अंदर निर्वाचन आयोग 70 सी की सूची जारी कर देते थे. इसके अंतर्गत कितने वोट पड़े हैं, ये बता दिया जाता था. आज इलेक्ट्रोनिक युग है. निर्वाचन आयोग का कहना है कि मतगणना में ज्यादा समय लगेगा इसलिए बैलेट पेपर से वोट नहीं कराते. निर्वाचन आयोग हफ्ते से 10 दिन के बाद जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसके बाद कहा जाता है कि 6 से 8 वोट प्रतिशत बढ़ गया है. इसका मतलब निर्वाचन आयोग बायस्ड है. बैठे हुए अधिकारी बायस्ड है. किसको फायदा पहुंचाना चाहते हैं. पहली बार प्रधानमंत्री को नोटिस दिया गया वो भी जेपी नड्डा को. पीएम बयान देते हैं और जेपी नड्डा को नोटिस देंगे. निर्वाचन आयोग की इतनी दयनीय स्थिति हमने पहली बार देखा.”