प्रदेश में चर्चित हत्याकांड राकांपा नेता रामावतार जग्गी के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए हत्याकांड के 27 आरोपियों की अपील को खारिज कर दिया है। सभी नामजद आरोपियों को सजा दी गई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा डिवीजन बेंच ने उनकी आजीवन कारावास की सजा को रखा बरकरार रखा है। वहीं मुख्य आरोपी के तौर पर याहया ढेबर को बनाया है जो वर्तमान महापौर के बड़े भाई है।चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डीबी में जग्गी हत्याकांड के आरोपियों की अपील पर बीते 29 फरवरी को बहस पूरी कर ली थी। बहस के बाद फैसले को रिजर्व रख लिया गया था। पिछली सुनवाई में लगातार बहस के बाद आरोपियों की ओर से अपने तर्क प्रस्तुत किए गए थे। तीसरे दिन सीबीआई के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया। इसके साथ आरोपियों की ओर से अधिवक्ताओं ने सीबीआई की कार्रवाई का प्रतिपरीक्षण भी किया। कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के उपरांत सभी को लिखित में तर्क पेश करने को कहा और फैसले को सुरक्षित कर लिया था।
अमित जोगी के खिलाफ दायर हुई याचिका
केस में अमित जोगी की दोषमुक्ति के खिलाफ रामवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अलग से याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लंबित होने के कारण छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इस प्रकरण की सुनवाई रुकी हुई है। उक्त मामले को छोड़कर हाईकोर्ट ने आरोपियों की अपील पर सुनवाई शुरू की है।
जानें क्या था पूरा मामला
प्रदेश में साल 2003 में हीरा व्यापारी और राकांपा नेता रामावतार जग्गी को जून में मौदहापारा में गोली मार कर हत्या कर दी गई। उस दौरान यह बहुत बड़ा मुद्दा बना था। विधानसभा चुनाव के दौरान हुई इस हाई प्रोफाइल हत्या की जांच सीबीआई ने की थी।