पतंजलि मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी की थी, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उनका माफीनामा हर उस अखबार में छपना चाहिए, जिसमें उनका इंटरव्यू छपा था.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन से उन सभी प्रमुख अखबारों में माफीनामा प्रकाशित करने को कहा, जिनमें शीर्ष अदालत में भ्रामक विज्ञापनों पर सुनवाई के संबंध में उनकी विवादास्पद टिप्पणियों पर उनका साक्षात्कार छपा था.
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अशोकन इसका खर्च अपनी जेब से वहन करेंगे, न कि आईएमए की ओर से. इसके बाद कोर्ट ने मामले को स्थगित कर दिया. अदालत ने इस मामले में अशोकन द्वारा मांगी गई माफी की प्रकृति पर भी नाखुशी व्यक्त की.
आईएमए अध्यक्ष ने ऐसे बयानों के लिए बिना शर्त माफी मांगी है
इससे पहले अशोकन के वकील ने अदालत को अवगत कराया कि पतंजलि सुनवाई के संबंध में उनकी विवादास्पद टिप्पणियों के लिए माफीनामा विभिन्न मीडिया प्लेटफार्मों और इसकी वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया गया है. जब आईएमए की वेबसाइट खोली गई तो वहां इस माफीनामे का पॉप-अप आया. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि आईएमए अध्यक्ष ने खेद व्यक्त किया है और ऐसे बयानों के लिए बिना शर्त माफी मांगी है.
उनका इरादा सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को कम करने का नही था
वेबसाइट पर माफीनामे को आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने प्रकाशित किया था, जिन्होंने कहा था कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में खेद व्यक्त किया है और बिना शर्त माफी मांगने के लिए कोर्ट में अपना हलफनामा भी जमा कर दिया है. वकील ने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की महिमा या गरिमा को कम करने का उनका कभी कोई इरादा नहीं था.
अदालत एलोपैथी और आधुनिक चिकित्सा के संबंध में झूठे और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.