सूरत के बाद कांग्रेस को एक और झटका, इंदौर से उम्मीदवार ने लिया नामांकन वापस
Lok Sabha Elections 2024: मध्य प्रदेश में कांग्रेस को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब इंदौर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए गए अक्षय कांति बम नामांकन वापस लेकर बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस को ये झटका अक्षय कांति बम ने ऐसे समय में दिया है जब इंदौर में मतदान नजदीक है। कांग्रेस के लिए सूरत के बाद दूसरा बड़ा झटका है। इस पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है।
बम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय सिंह ने राजगढ़ में कहा, “बहुत बड़ी गद्दारी की है। उनसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।” जब उनसे पूछा गया कि बम को टिकट उनके कोटे से दिया गया है, तो उन्होंने कहा, “यह कांग्रेस पार्टी का टिकट था।” दिग्विजय ने स्वीकार किया कि उनके बम के परिवार से संबंध हैं। दिग्विजय सिंह ने कहा, “कांग्रेस उम्मीदवार बम सहित तीन उम्मीदवारों ने 29 अप्रैल निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अपना नामांकन वापस ले लिया। इस प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई है।”
बीजेपी विधायक के साथ नामांकन वापस लेने पहुंचे
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बम (45) बीजेपी के विधायक रमेश मेंदोला के साथ जिलाधिकारी के कार्यालय पहुंचे और नामांकन वापस ले लिया। वापस लौटते समय बम पत्रकारों के सवालों को नजरअंदाज करते हुए रमेश मेंदोला के साथ कार में बैठकर रवाना हो गए। मेंदोला को राज्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का करीबी माना जाता है। जिलाधिकारी सह निर्वाचन अधिकारी आशीष सिंह ने पुष्टि की है कि बम ने अपना नामांकन वापस ले लिया है।
इंदौर सीट पर अब कितने उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं?
बताया जा रहा है कि इंदौर में 23 में से 9 उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए हैं। अब इस सीट पर बीजेपी के शंकर लालवानी समेत 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। इंदौर लोकसभा सीट पर चुनाव के लिए 25 अप्रैल तक नामांकन भरे गए थे। नाम वापसी के लिए 29 अप्रैल आखिरी दिन था। इंदौर में मतदान 13 मई को होगा। इससे पहले सूरत से ऐसा ही मामला सामने आया। सूरत सीट से कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी का फॉर्म रद्द हो गया। इसके बाद बाकी निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी नाम वापस ले लिए। इस तरह चुनावी मैदान में बीजेपी प्रत्याशी मुकेश दलाल के अलावा कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं था और उन्होंने निर्विरोध जीत दर्ज की। सूरत में 7 मई को मतदान होना था, लेकिन मुकेश दलाल उससे पहले ही जीत गए।