कवर्धा में सड़क हादसे में 19 मौतों को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ने जनहित याचिका माना है। डिवीजन बेंच ने प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य शासन और राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क परिवहन सहित सभी पक्षकारों से शपथ पत्र के साथ जवाब मांगा है। साथ ही साथ ही कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं, उस पर अब तक की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जाए। सड़क हादसा रोकने के उपायों पर कितना अमल हुआ है इसकी भी रिपोर्ट मांगी गई है। हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कि क्या सरकार सिर्फ दुर्घटनाओं के बाद मुआवजा बांटने के लिए है। मामले की अगली सुनवाई 26 जून को होगी। गौरतलब है कि कवर्धा जिले में कुकदूर थाना क्षेत्र के बाहपानी के पास बीते 20 मई को भीषण हादसा हो गया था। जिसमें तेज रफ्तार अनियंत्रित पिकअप पलट कर खाई में गिर गई और 15 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। वहीं चार घायलों ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। 10 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शुक्रवार को इस केस की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा कि जिस तरह से पिकअप में इतने लोगों को बैठाया गया था और वह पलट गई, यह गंभीर घटना है।
क्राइम बढ़ा है, ट्रैफिक बदहाल है
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कड़े तेवर दिखाते हुए कहा कि रोज दुर्घटनाएं हो रहीं हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं देने वाला है। स्पीड लिमिट पर किसी का ध्यान नहीं है। नेशनल हाइवे में भी हैवी ट्रैफिक है तो सड़कें उखड़ीं हुईं हैं। बस टोल प्लाजा पर 1003 लिखकर अपनी ड्यूटी निभा दी जा रही है। बिलासपुर में क्राइम बढ़ा है, ट्रैफिक बदहाल है। पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है लेकिन कंट्रोल करने वाला कोई नहीं है।
हर जिले में एक जैसी सड़क सुरक्षा समिति जरूरी
सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक, जिला परिवहन अधिकारी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के साथ ही लोक निर्माण विभाग और राजमार्ग मंत्रालय के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। शहरी सीमाओं के लिए नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी भी समिति में शामिल रहेंगे। समिति में एनजीओ के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा। आदेश के अनुसार कलेक्टर को हर 15 दिन में समिति की ऑनलाइन मीटिंग लेनी होगी।