सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 नवंबर 2024) को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की जगह पुराने पेपर बैलेट सिस्टम को फिर से लागू करने की माँग की गई थी। याचिकाकर्ता ईसाई प्रचारक डॉ. केए पॉल ने याचिका में यह दलील दी थी कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे लोकतंत्र को खतरा है। वहीं, इस बीच कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फिर से बैलेट पेपर का राग अलापा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट याचिका खारिज कर चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 नवंबर 2024) को एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया, जिसमें चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) की जगह पुराने पेपर बैलेट सिस्टम को फिर से लागू करने की माँग की गई थी। याचिकाकर्ता ईसाई प्रचारक डॉ. केए पॉल ने याचिका में यह दलील दी थी कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे लोकतंत्र को खतरा है। वहीं, इस बीच कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने फिर से बैलेट पेपर का राग अलापा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट याचिका खारिज कर चुकी है।
कोर्ट ने पॉल की दलील को हल्के अंदाज में लिया और कहा कि नेताओं जैसे चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगनमोहन रेड्डी केवल हारने पर ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हैं, लेकिन जीतने पर ऐसा कुछ नहीं कहते। जस्टिस नाथ ने कहा, “जब नेता हारते हैं तो ईवीएम को दोष देते हैं, लेकिन जब वे जीतते हैं तो कुछ नहीं बोलते। यह अदालत इस तरह के तर्कों को स्वीकार नहीं कर सकती।”