जानें कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने क्यों कही ये बात,कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की किताब में टिप्पणी
नई दिल्ली। एजेंसी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी नई किताब में लिखा है कि 2012 में जब राष्ट्रपति पद खाली हुआ था, तब प्रणब मुखर्जी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की बागडोर दी जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि तब डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए था। अय्यर (83) ने किताब में लिखा है कि अगर उस समय ऐसा किया गया होता तो यूपीए सरकार का शासन रुकावट (पैरालिसिस ऑफ गवर्नेस) की स्थिति में न पहुंचता। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए रखने और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन भेजने के फैसले ने तीसरी बार सरकार गठित करने की संभावनाओं का अंत कर दिया था।
अय्यर ने कहा है कि उन्होंने नरेन्द्र मोदी को कभी ‘चायवाला’ नहीं कहा और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) नेता के प्रधानमंत्री पद के लिए अनुपयुक्त होने संबंधी उनकी धारणा का चाय बेचने के उनके अतीत से कोई लेना-देना नहीं था.
उन्होंने 2014 के विवाद को एक नई किताब ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स में इसका जिक्र किया है, जिसे जगरनॉट ने प्रकाशित किया है. राजनयिक से राजनेता बने अय्यर ने गांधी परिवार के साथ अपने दशकों पुराने संबंधों पर उन्होंने कहा कि उन लोगों ने उनके राजनीतिक करियर को बनाया और बिगाड़ा.
अपने राजनीतिक पतन का भी किया उल्लेख
अय्यर ने अपनी आगामी किताब ‘अ मैवरिक इन पॉलिटिक्स’ में ये टिप्पणियां की हैं। किताब में अय्यर ने राजनीति में अपने शुरुआती दिनों, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के शासन, यूपीए-क में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल, राज्यसभा में अपने कार्यकाल और फिर अपनी स्थिति में गिरावट, परिदृश्य से बाहर होने और राजनीतिक तौर पर पतन का भी जिक्र किया है। अय्यर ने लिखा कि 2012 में प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) को कई बार ‘कोरोनरी बाईपास सर्जरी’ करानी पड़ी। वह शारीरिक रूप से कभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाए। इससे उनके काम करने की गति धीमी हो गई और इसका असर शासन पर भी पड़ा। जब प्रधानमंत्री का स्वास्थ्य खराब हुआ, करीब उसी समय कांग्रेस अध्यक्ष भी बीमार पड़ी थीं। लेकिन पार्टी ने उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की। उन्होंने कहा कि जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि दोनों कार्यालयों – प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष में रफ्तार की कमी थी, शासन का अभाव था।