अमेरिका-यूक्रेन खनिज सौदे पर शुक्रवार को हस्ताक्षर होने की संभावना
यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन की कुछ खनिज संपदा को अमेरिका के साथ साझा करने के समझौते पर सहमति बन गई है, और राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस सप्ताह इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए ज़ेलेंस्की अमेरिका आएंगे
लेकिन बुधवार को कीव में बोलते हुए ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह अभी भी सुरक्षा गारंटी चाहते हैं, और प्रारंभिक समझौता एक “ढांचा” मात्र है।
उन्होंने कहा, “मैं यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी पर एक फैसला चाहता था, और यह महत्वपूर्ण है कि यह वहां हो।”
डोनाल्ड ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि शांति समझौते की स्थिति में यूक्रेन में “किसी न किसी रूप में शांति स्थापना” की आवश्यकता होगी।
यू.एस. और यूक्रेन 99.9% इस समझौते पर सहमत हैं। फिर भी, जब तक राष्ट्रपति इस पर अपने हस्ताक्षर नहीं कर देते, तब तक यह समझौता अंतिम रूप नहीं लेगा, जो कि शुक्रवार को होने की उम्मीद है, जब वे मिलने वाले हैं।
यूक्रेन बनेगा आर्थिक गुलाम
यूक्रेन के उप प्रधानमंत्री और न्याय मंत्री ओल्हा स्टेफनिशिना ने मंगलवार को फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, ‘खनिज समझौता तस्वीर का केवल एक हिस्सा है। हमने अमेरिकी प्रशासन से कई बार सुना है कि यह एक बड़ी तस्वीर का हिस्सा है।’ समझौते की मूल शर्तों को ट्रंप के वॉइट हाउस में वापसी के बाद तैयार किया गया था। कहा गया था कि यह यूक्रेन को अमेरिका का आर्थिक गुलाम बना देगा। समझौते को लेकर यूक्रेन ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी
क्या होगा इस समझौते का असर?
यूक्रेन और अमेरिका के बीच यह समझौता न केवल आर्थिक बल्कि वैश्विक भू-राजनीति को भी प्रभावित कर सकता है. अमेरिका, चीन की इस क्षेत्र में पकड़ को कमजोर करना चाहता है. जबकि रूस भी यूक्रेन के खनिज भंडारों पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है. इस समझौते से यूक्रेन को आर्थिक मजबूती मिल सकती है. लेकिन इसके बदले उसे अमेरिका के प्रभाव में आना पड़ेगा. आने वाले समय में यह देखना होगा कि यह समझौता किस दिशा में जाता है और इसका वैश्विक राजनीति पर क्या असर पड़ता है.