RBI Bulletin: डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने इस लेख में कहा है कि गर्मियों के दौरान महंगाई पर सावधानी से नजर रखनी होगी। मानसून के दस्तक देने से पहले खाद्य पदार्थों की कीमतों में अधिक गर्मी के कारण झटके लगने का अंदेशा है।
वास्तविक जीडीपी में तेजी बने रहने का अनुमान
आरबीआई की बुलेटिन में प्रकाशित ‘स्टेट ऑफ द इकोनॉमी’ विषय पर एक लेख में आगे कहा गया है कि वैश्विक विकास की गति 2024 की पहली तिमाही में बनी हुई है, और विश्व व्यापार के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण बन रहा है। लेख में कहा गया है, “भारत में मजबूत निवेश मांग और व्यापार व उपभोक्ता भावनाओं में तेजी की मदद से वास्तविक जीडीपी वृद्धि में तेजी की प्रवृत्ति आगे भी बनी रह सकती है।”
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के मासिक बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में भारत का सेवा निर्यात, पिछले 30 वर्षों (1993 और 2022 के बीच) में 14 प्रतिशत से अधिक की मजबूत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है। यह भारत के व्यापारिक निर्यात वृद्धि (10.7 प्रतिशत) के अलावा वैश्विक स्तर पर सेवा निर्यात की वृद्धि (6.8 प्रतिशत) से काफी अधिक है।
इसी का नतीजा है कि विश्व सेवाओं के निर्यात में भारत के सेवा निर्यात की हिस्सेदारी वर्ष 1993 में 0.5 प्रतिशत से आठ गुना से अधिक बढ़कर वर्ष 2022 में 4.3 प्रतिशत हो गई। रिजर्व बैंक के बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक लेख कहता है कि वर्ष 2024 के वसंत में गर्मी बनी हुई है। दरअसल इसका इशारा मार्च, 2024 के पिछले 170 साल का सबसे गर्म मार्च महीना होने की तरफ है।
बढ़ती गर्मी के कारण मानसून से पहले खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने का जोखिम
डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम ने इस लेख में कहा है कि गर्मियों के दौरान महंगाई पर सावधानी से नजर रखनी होगी। मानसून के दस्तक देने से पहले खाद्य पदार्थों की कीमतों में अधिक गर्मी के कारण झटके लगने का अंदेशा है। लेख के मुताबिक, “हालांकि निकट अवधि में प्रतिकूल मौसमी घटनाओं के साथ लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव के कारण मुद्रास्फीति का जोखिम पैदा हो सकता है।”
आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक, आर्थिक वृद्धि के रुझान में बदलाव के विस्तार के लिए स्थितियां बन रही हैं, जिसने 2021-24 के दौरान औसत वास्तविक जीडीपी वृद्धि को आठ प्रतिशत से ऊपर पहुंचाया है। लेख कहता है, “अगले तीन दशकों में अपनी विकासपरक आकांक्षाओं को हासिल करने के लिए, भारतीय अर्थव्यवस्था को अगले दशक में अपने जनसंख्या संबंधी लाभों का फायदा उठाने के लिए 8-10 प्रति वर्ष की दर से बढ़ना होगा। भारत को जनसंख्या संबंधी लाभ वर्ष 2055 तक मिलता रहेगा।“
इसमें कहा गया है कि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक वृद्धि की गति बरकरार रही है और विश्व व्यापार का परिदृश्य सकारात्मक हो रहा है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बॉन्ड प्रतिफल और कर्ज की ब्याज दर बढ़ रही है। ब्याज दर में कमी को लेकर जो संभावनाएं थी, वह कमजोर पड़ी हैं। आरबीआई ने साफा किया है कि बुलेटिन के लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये भारतीय रिजर्व बैंक के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।