SC-ST आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 अगस्त को भारत बंद ! मायावती ने फैसले के खिलाफ संविधान संशोधन की मांग की है
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बुधवार, 21 अगस्त 2024 को भारत बंद की चर्चा जोरों पर है। हैशटैग ‘#21_अगस्त_भारत_बंद‘ इस समय ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के साथ 15.4 हजार पोस्ट्स एक्स पर डाले गए हैं। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में इस बंद का आह्वान किया है।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 1 अगस्त 2024 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। उन्होंने राज्यों को एससी और एसटी समूहों के भीतर उप-श्रेणियां बनाने की अनुमति दी, जिसमें कहा गया, “जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए।” इस फैसले ने व्यापक बहस छेड़ दी है और भारत बंद का आह्वान किया है।
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में एसटी एससी समाज की संयुक्त बैठक हुई. इस बैठक में गोंड, मुरिया, हल्बा, दोरला, परधान, कंवर, उरांव, कुडूख उरांव, भतरा, महार, सतनामी, मराई माता महार और महारा समाज के प्रतिनिधि और पदाधिकारी मौजूद रहे. 21 को भारत बंद को समर्थन देते हुए बीजापुर बंद के साथ आक्रोश रैली निकालने पर सहमति बनी.
21 अगस्त को भारत बंद बुलाया गया है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा लागू करने के फैसले के खिलाफ के विरोध में भारत बंद को समर्थन देते हुए बंद का आह्वान किया गया है.
इसे बताया जा रहा SC/ST समाज का भारत बंद!
आकाश आनंद ने अपने ट्वीट में लिखा है, ‘आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC/ST समाज में काफी गुस्सा है. फैसले के विरोध में हमारे समाज ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है. हमारा समाज शांतिप्रिय समाज है. हम सबका सहयोग करते हैं. सबके सुख-दुख में हमारा समाज शामिल होता है. लेकिन आज हमारी आजादी पर हमला किया जा रहा है. 21 अगस्त को इसका शांतिपूर्ण तरीक़े से करारा जवाब देना है.’
मायावती ने फैसले के खिलाफ संविधान संशोधन की मांग की है
राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आक्रामक हैं. उन्होंने बीते दिनों मांग की थी कि सरकार संविधान संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलट दे. मायावती ने कहा था कि बसपा सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है. मायावती के तर्क हैं कि, “क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा अत्याचारों का सामना एक समूह के रूप में किया गया है और यह समूह समान है, इसलिए किसी भी तरह का उप-वर्गीकरण करना सही नहीं होगा.” बसपा सुप्रीमो ने तब कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहीं न कहीं आरक्षण को खत्म करने के प्लान जैसा है और उन्होंने इसके खिलाफ एकजुट रहने की अपील की थी.
अप्रैल 2018 में SC-ST एक्ट पर आए फैसले के खिलाफ भी हुआ था भारत बंद, जिसमें फैली व्यापक हिंसा
इस भारत बंद के ऐलान से अप्रैल 2018 में हुए एक भारत बंद की कड़वीं यादें भी ताजा हो रही हैं. दरअसल उस समय मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया था. इसके बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद का आह्वान किया गया. तब मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और यूपी में हिंसक घटनाएं देखी गईं. कई लोगों की जान चली गई. बाद में मोदी सरकार को अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटना पड़ा.
फिलहाल केंद्र सरकार से यही मांग की जा रही है. हालांकि सभी संगठन और बसपा नेता भारत बंद के शांतिपूर्ण रहने के लिए लगातार अपील भी जारी करते नजर आ रहे हैं. पर 21 अगस्त को भारत बंद का यह ऐलान निश्चित तौर पर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन सकता है.