बेंगलुरु। एजेंसी। ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स यहां बेंगलुरु में अपनी निजी यात्रा पर आए और ‘व्हाइटफील्ड’ के पास एक एकीकृत चिकित्सा सुविधा केंद्र सावक्या इंटरनेशनल होलिस्टिक हेल्थ सेंटर में ठहरे थे। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उनके साथ महारानी कैमिला भी यहां पहुंची थी। ब्रिटेन का महाराजा बनने के बाद चार्ल्स की यह पहली भारत यात्रा थी। चार्ल्स को कैंसर की बीमारी है और बीमारी का खुलासा होने के बाद पहली बार वह इस महीने ब्रिटेन से बाहर निकले।
बताया जा रहा है कि 27 अक्टूबर को समोआ द्वीप में राष्ट्रमंडलीय देशों की बैठक में हिस्सा लेने के बाद चाल्र्स और उनकी पत्नी दोनों सीधे भारत आ गए। एक अधिकारी ने बताया कि दंपति अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान ठहरे हुए थे, वह समग्र स्वास्थ्य केंद्र योग और ध्यान सत्रों तथा उपचारों सहित कायाकल्प उपचार के लिए प्रसिद्ध है। अधिकारी ने कहा ‘दंपति पहले भी कई बार इस चिकित्सा सुविधा में रह चुके हैं और उन्होंने आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा सहित विभिन्न स्वास्थ्य उपचार लिए हैं।
उनकी सुबह की दिनचर्या में योग सत्र शामिल था। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने यहां विभिन्न स्वास्थ्य उपचारों के तहत विशेष आहार लिया। उन्होंने कायाकल्प उपचार लिया, जिसमें ध्यान और चिकित्सा भी शामिल थी।’ अधिकारी ने कहा, ‘उन्होंने 30 एकड़ के परिसर में लंबी सैर का आनंद लिया और जैविक खेतों में भी मुखर स सैर पर गए।’ अधिकारी ने कहा, ‘वे तीन दिनों तक वहां रहे और बुधवार की सुबह शहर से चले गए।
चार्ल्स के राज्याभिषेक में भी गए थे मथाई
व्हाइटफील्ड’ के पास समेथनहल्ली में स्थित अंतरराष्ट्रीय समग्र केंद्र ‘सौक्या’ में यह महाराज की पहली यात्रा नहीं है। उन्होंने 2019 में अपना 71 वां जन्मदिन यहीं मनाया था। सूत्रों की मानें, तो वह आठ से ज्यादा बार यहां उपचार के लिए आ चुके हैं। इस केंद्र का संचालन डॉ. इसाक मथाई करते हैं, जो भारत के उन कुछ लोगों में से हैं जिन्हें ब्रिटेन के महाराज के रूप में चार्ल्स के राज्याभिषेक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था
कैंसर से पीड़ित चार्ल्स आयुर्वेद के मुखर समर्थक
कैंसर से पीड़ित चार्ल्स पिछले कई सालों से आयुर्वेद के मुखर समर्थक रहे हैं। अप्रैल 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान चार्ल्स उनके साथ लंदन के ‘साइंस म्यूजियम’ में एक नए ‘आयुर्वेदिक उत्कृष्टता केंद्र’ के उद्घाटन के लिए शामिल हुए थे, जिसका उद्देश्य योग और आयुर्वेद पर साक्ष्य-आधारित शोध के लिए अपनी तरह का पहला वैश्विक नेटवर्क बनाना था।