श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सदस्य अनिल मिश्रा ने भी पुष्टि की कि दिवाली उत्सव 31 अक्टूबर को निर्धारित है.
31 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 03.52 मिनट से अमावस तिथि लगेगी जो कि दूसरे दिन 1 नवंबर शुक्रवार की शाम 6.17 मिनट तक रहेगी। दीपावली पर्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रदोष वेला एवं महानिशीथ काल 31 को ही मिल रहे हैं। अत: इस वर्ष दीपावली पर्व उदया चतुर्दशी तिथि में 31 को ही मनाया जाएगा। पर्व काल होने से संपूर्ण दिवस पर्यंत पूजन कर सकते हैं। कुछ जगह 1 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। हालांकि इसकी संख्या न के बराबर रहेगी।
29 अक्टूबर को धनतेरस के साथ दीपोत्सव शुरू रहा है। कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को दो दिन रहेगी। 31 तारीख की रात लक्ष्मी पूजा, 1 नवंबर को स्नान-दान की अमावस्या, 2 को गोवर्धन पूजा और 3 को भाई दूज मनेगी।
Dhanteras Diwali (deepawali 2024) : दिवाली या दीपावली 5 दिन का त्योहार है। इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है जो कि 29 अक्टूबर यानी कल है। इसके बाद लोग नरक चतुर्दशी मनाते हैं और यम का दिया निकालते हैं जिसे छोटी दिवाली (chhoti Diwali date) भी कहते हैं। इस बार छोटी दिवाली 30 अक्टूबर की है। इसके अगले दिन अमावस्या पर दिवाली मनाई जाती है। आइए जानते हैं 31 अक्टूबर या 1 नवंबर आखिर कब है दिवाली ?
इस वर्ष दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा.
कार्तिक अमावस्या और लक्ष्मी पूजन के लिए 31 अक्टूबर को शास्त्रसम्मत माना गया है. विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने यह भी कहा कि 31 अक्टूबर को दीपावली को शास्त्रसम्मत माना गया है. विद्वानों और ज्योतिषाचार्यों ने 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने को लेकर कोई विवाद नहीं है
केरल में दिवाली की छुट्टी सिर्फ 1 दिन यानी 1 नवंबर को होगी. वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी दिवाली पर कोई विशेष छुट्टी नहीं होती है. उत्तराखंड में 1 नवंबर से 3 नवंबर तक स्कूल बंद रहेंगे. लेकिन दिवाली की डेट बदल जाने से इस छुट्टी में भी बदलाव किया जा सकता है. अभी तक के हॉलिडे कैलेंडर के मुताबिक, उत्तराखंड में दिवाली पर कोई विशेष छुट्टी नहीं दी गई है. यहां के स्कूलों में 1 नवंबर की ही छुट्टी दिवाली के लिए घोषित की गई है. 2 और 3 को शनिवार-रविवार है.
धनतेरस
धनतेरस दिवाली का पहला दिन है, जो कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी से शुरू होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश के साथ-साथ आयुर्वेद के जन्मदाता धन्वंतरि की पूजा की जाती है। इस मौके पर सोना-चांदी, वाहन, धनिया, बर्तन को खरीदना शुभ माता है। इसलिए इस दिन लोग जमकर खरीदारी करते है।
दिवाली (लक्ष्मी पूजा)
इस पांच दिवसीय पर्व का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह मुख्य त्योहार अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे। साथ ही यह धन और समृद्धि के लिए लक्ष्मी की पूजा करने का भी दिन है। इस दिन लोग पटाखे छोड़ते हैं, पकवान बनाते हैं और मिठाईयां बांटते हैं।
गोवर्धन पूजा
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। यह वह दिन है जब भगवान कृष्ण ने इंद्र के प्रकोप से ग्रामीणों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाया था। यह प्रकृति के प्रति सम्मान और धरती की खेती का प्रतीक है। इसलिए इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और भगवान को छप्पन भोग लगाते हैं।
भाई दूज
दिवाली के पांच दिनों का अंतिम दिन भाई दौज होता है। यह दिन भाई-बहन के बीच के बंधन को दर्शाता है। हनें अपने भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह परिवार में प्यार और सुरक्षा को दर्शाता है।