
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा था। कोर्ट द्वारा किए गए प्रस्तावों में केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना, वक्फ संपत्तियों पर विवाद तय करने के लिए कलेक्टरों की शक्तियां और अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के प्रावधान शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया था। जिसमें अदालतों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने और केंद्रीय वक्फ परिषदों तथा बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की शक्ति शामिल है।
शीर्ष अदालत ने आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा। जिसका केंद्र सरकार की ओर से विरोध किया गया। केंद्र की ओर से ऐसे किसी भी अंतरिम आदेश से पहले विस्तृत सुनवाई की अपील की। जिसके बाद अदालत ने इस मामले पर एक दिन और सुनवाई करने का फैसला किया।
अदालत ने पूछा- क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाओं से संबंधित सुनवाई प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही केंद्र से पूछा कि क्या वह हिंदू धार्मिक न्यासों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मुस्लिम निकायों तथा व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने नोटिस जारी करने और एक अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा। सीजेआई ने कहा कि इससे समानताएं संतुलित होंगी।
पीठ ने कहा, अदालतों द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हों या विलेख द्वारा वक्फ हों, इसके अलावा अदालत वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
वक्फ में कलेक्टर की भूमिका पर अदालत ने जताई आपत्ति
पीठ ने संशोधित कानून के उस प्रावधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया। जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। पीठ ने अधिनियम को लेकर प्रावधान-वार आपत्तियों पर गौर किया और केंद्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने सहित कानून के कई पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त कीं।