मोहर्रम के मौके पर बुधवार को मुस्लिम समुदाय द्वारा अन्जुम-ए-अलमदारे हुसैनी इरानी जमात राजातालाब पण्डरी रायपुर द्वारा दोपहर 2 बजे ताज नगर इमामबाड़ा राजातालाब से मोहर्रम जुलूस निकाला जा रहा है। पंडरी बस स्टैण्ड खालसा स्कूल से शास्त्री चौंक से मरहीमाता चौक, मौदहापारा थाना के सामने से होकर, एम.जी. रोड होते हुए आमापारा चौक से जी.ई. रोड होकर करबला तालाब तक जायेगी। रायपुर ट्रैफिक पुलिस ने जाम से बचने के लिए वैकल्पिक मार्ग और रुट प्लान जारी किया है।
वैकल्पिक मार्ग
- शास्त्री चौंक से जी.ई. रोड होकर टाटीबंध की ओर जाने वाले वाहन चालक शास्त्री चौंक से महिला थाना चौंक-बुढ़ापारा बिजली आफिस चौक से बुढ़ातालाब मार्ग होकर पुरानी बस्ती से लाखे नगर से आश्रम तिराहा होकर आवागमन कर सकते है। इसी प्रकार टाटीबंध की ओर से शास्त्री चौक की ओर आने वाले वाहन चालक इसी मार्ग से होकर आवागमन कर सकते है।
- शास्त्री चौक से रेलवे स्टेशन जाने वाले वाहन चालक एक्सप्रेस वे एवं केनाल लिंकिंग रोड का उपयोग कर आवागमन कर सकते है एवं रेलवे स्टेशन से होकर जी.ई. रोड, कालीबाड़ी की ओर आने वाले वाहन चालक इसी मार्ग से होकर आवागमन कर सकते है।
- मोहर्रम जुलूस के दौरान रैली पहुंचने से 100 मीटर पहले रोड को डायवर्ट कर दिया जायेगा एवं रैली छूटने के 100 मीटर पश्चात रोड को खोला जायेगा। अतः वाहन चालक असुविधा से बचने के लिए उपरोक्त वैकल्पिक मार्गो का उपयोग कर सकते है।
Muharram 2024: मुहर्रम मुस्लिम समुदाय का विशेष पर्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम इस्लाम धर्म का पहला महीना होता है, जिसकी शुरुआत 7 जुलाई 2024 से हो चुकी है। माना जाता है कि मुहर्रम को बकरीद के 20 दिन बाद मनाया जाता है। भारत में मुहर्रम मनाने की तिथि हमेशा चांद निकलने पर तय की जाती है। इस माह को रमजान की तरह पाक माना गया है।
मुहर्रम महीने का 10वां दिन मुस्लिम समुदाय के लिए बेहद खास होता है, इसे आशूरा के रूप में मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इस तारीख को हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मातम के तौर पर मनाते हैं। इस दौरान देशभर में जुलूस निकाले जाते हैं
मुहर्रम का महत्व और मान्यताएं दुनिया भर में शिया मुसलमान इस दिन काले कपड़े पहन कर ताजिए निकालते हैं और इस जुलूस में लोग खुद को घायल करके खुद का खून बहाते हैं और इमाम हुसैन की शहादत पर अपना दुख जाहिर करते हैं. वहीं सुन्नी समुदाय के लोग इस दिन इबादत करते हैं और रोजा रखते हैं. सुन्नी समुदाय में कहा जाता है कि मुहर्रम के माह में अल्लाह की इबादत करने और रोजा करने से अल्लाह की इनायत पूरे साल बरसती है. वहीं शिया समुदाय इसे यौम ए आशूरा के रूप में मनाता है और शिया भी इस दौरान रोजा रखते हैं.