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अब किराएदार को देना होगा 18% जीएसटी

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  • अगर किराएदार जीएसटी में रजिस्टर है और प्रॉपर्टी का मालिक जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है तो रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म अर्थात् किराएदार किराया तो मकान मालिक को देगा, लेकिन उस पर जीएसटी सरकार को जमा करेगा।
  • यदि किराएदार रजिस्टर्ड नहीं है और प्रॉपर्टी का मालिक भी रजिस्टर्ड नहीं है तो ऐसी स्थिति में जीएसटी लागू नहीं होगा यानी ऐसे किराए पर जीएसटी नहीं लगेगा।
  • कोई मकान स्वयं के रहने के लिए किराए पर लिया गया है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। लेकिन मकान अपने स्टाफ के रहने या कंपनी अपने डायरेक्टर के रुकने के लिए ले रही है और कंपनी जो किराया दे रही है और जीएसटी में रजिस्टर है तो रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म के अंतर्गत किराए पर 18% जीएसटी सीधे सरकार को जमा करना होगा।
  • इन संपत्तियों को माना जाएगा किराए की आय
  • कमर्शियल प्रॉपर्टी फॉर कमर्शियल पर्पज के लिए किराए पर देना जैसे फैक्ट्री, दुकान, गोदाम आदि।
  • रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी फॉर रेजिडेंशियल पर्पज के लिए किराए पर देना। यानी मकान, बंगला, फ्लैट।
  • प्रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी फॉर कमर्शियल पर्पज के लिए किराए पर देना जैसे ऑफिस, मकान या फ्लैट।
  • उदाहरण के साथ समझें
  • इस मामले को अब उदाहरण से समझते हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान ने कहा अगर कोई कंटेट क्रिएटर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकील जैसा प्रेफेशनल, जो GST रजिस्टर्ड है और वह उस किराए के घर में अपने परिवार के साथ रहता है तो ऐसे मामलों में रेंट पर जीएसटी नहीं लगेगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि वह रेंटेड हाउस का निजी इस्तेमाल कर रहा है. हालांकि, वह बिजनेस आइटीआर रिटर्न में उस किराए पर क्लेम का लाभ नहीं ले रहा हो. अगर इस मामलों में वह किराए पर इनकम टैक्स रिटर्न में डिडक्शन का लाभ उठाता है तो उसे 18 फीसदी का जीएसटी जमा करना होगा. 
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Janmat News

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