मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं दी है। इस अवसर पर उन्होंने सबके सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की है। मुख्यमंत्री ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि भगवान श्रीकृष्ण हमें जीवन जीने का सही राह बताते हैं। उनके उपदेश जीवन की हर परिस्थिति के लिए प्रासंगिक है।
कान्हा जी भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं। उनकी अद्भुत लीलाओं का वर्णन आज भी उनके भक्तों के जुबान पर है। यह दिव्य त्योहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रतीक है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2024 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त, 2024 दिन रविवार को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
पूजा मुहूर्त – श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
श्रीकृष्ण पूजन मंत्र
- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
- हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरेहरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
टाटीबंध स्थित इस्कॉन मंदिर में 25, 26 और 27 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन नये मंदिर होगा। महोत्सव के पहले दिन 25 अगस्त, रविवार को बाल महोत्सव फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता एवं भक्ति नृत्य होगा। महोत्सव के दूसरे दिन 26 अगस्त, सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महा महोत्सव एवं भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा
हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. इसके लिए सभी कृष्णजी के मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इस वर्ष 26 अगस्त को जन्माष्टमी है. दिल्ली के द्वारका में सेक्टर 13 स्थित इस्कॉन मंदिर में जन्माष्टमी की तैयारियां और भक्तों के लिए विशेष इंतजाम हो रहे हैं. मंदिर में तीन दिवसीय कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
मंदिर की सजावट के लिए दुनिया भर से सैकड़ों प्रकार के फूल मंगवाए गए
मंदिर की सजावट के लिए दुनिया भर से सैकड़ों प्रकार के फूल मंगवाए गए हैं. इस महामहोत्सव में चार चांद लगाने के लिए जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर यानी 25 अगस्त की शाम को 500 से अधिक स्कूली बच्चे कृष्ण के जीवन और लीलाओं को दर्शाने वाले नाटक प्रस्तुत करेंगे.
वहीं,कई नए चमकते सितारे अपने भावपूर्ण भजनों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे.26 तारीख को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. लेकिन 25 अगस्त की शाम को भगवान के आदिवास का पर्व मनाया जाएगा. इसमें विशेष रूप से जन्माष्टमी के एक दिन पहले भगवान को उनके नए वस्त्र दिखाए जाते हैं. ताकि वह तैयार रहे कि अगले दिन उनका रूप किस प्रकार का होने वाला है ?
मंदिर का इतिहास
पुजारी चैतन्य दास ने बताया की 2012 में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. तब से यह मंदिर दिनों दिन प्रगति कर रहा है. स्थापना के दिन से लेकर वर्तमान तक मंदिर में सुबह श्रीमद्भागवत कथा और शाम को भागवत गीता पढ़ी जाती है. वीकेंड पर मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु श्रीकृष्ण के दर्शन करने आते हैं. भक्तों की मंदिर से विशेष आस्था जुडी हुई है.