मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने एक पुलिस कॉन्स्टेबल को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने सिपाही को उसकी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दाढ़ी रखने के लिए दी गई सजा को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई चौंकाने वाली असंगत थी। जी अब्दुल खादर इब्राहिम को छह साल पहले मक्का और मदीना की तीर्थयात्रा के लिए 31 दिन की अर्जित छुट्टी दी गई थी। लौटने पर, उन्होंने पैर में संक्रमण का दावा करते हुए अपनी छुट्टी बढ़ाने की मांग की।
अक्टूबर 2019 में, इब्राहिम पर प्रारंभिक जांच की गई और आरोपों का एक ज्ञापन जारी किया गया। आरोपपत्र में कहा कहा कि इब्राहिम ने अर्जित छुट्टी के बाद ड्यूटी पर रिपोर्ट नहीं की। इसके अलावा 1957 के मद्रास पुलिस राजपत्र में बताए गए नियमों के विरुद्ध दाढ़ी रखना भी शामिल था।
अफसरों से की शिकायत
इब्राहिम ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की। जांच के दौरान, इब्राहिम ने दावा किया कि उन्हें ड्यूटी सब-इंस्पेक्टर और एक सहायक आयुक्त सहित प्रमुख गवाहों से जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई थी। उनके बचाव के बावजूद, जांच अधिकारी ने आरोपों को वैध पाया, जिसके कारण संचयी प्रभाव से तीन साल के लिए उनकी वेतन वृद्धि रोक दी गई।
दूसरी बार भी राहत नहीं
इब्राहिम ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, लेकिन मदुरै पुलिस आयुक्त ने बिना किसी संचयी प्रभाव के उनके तीन साल के वेतन वृद्धि रोकने के आदेश कुछ कटौती करते हुए इसे दो साल कर दिया। पुलिस आयुक्त के इस आदेश के खिलाफ इब्राहिम ने आदेश को चुनौती देने के लिए रिट याचिका दायर की।
जस्टिस ने क्या कहा
न्यायमूर्ति एल विक्टोरिया गौरी ने कहा कि मद्रास पुलिस राजपत्र मुस्लिम अधिकारियों को दाढ़ी रखने की अनुमति देता है। उन्होंने कहा, ‘विभाग में अनुशासन बनाए रखने का कर्तव्य प्रतिवादियों को अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों से संबंधित कर्मचारियों को दाढ़ी रखने के लिए दंड देने की अनुमति नहीं देता है। वे पैगंबर मोहम्मद के आदेशों का पालन करते हुए अपने पूरे जीवन में दाढ़ी रख सकते हैं।’
मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस अफसरों की ओर से इब्राहिम को दी गई सजा को रद्द कर दिया और मदुरै पुलिस आयुक्त को आठ सप्ताह के भीतर कानूनी सिद्धांतों के अनुरूप एक नया निर्णय लेने के लिए कहा।