ऑनलाइन काम बंद होने से नामांतरण के साथ रिकार्ड
राजस्व विभाग में ऑनलाइन कामकाज ठप पड़ने से फिर संकट गहराने लगा है। पटवारी कार्यालयों में तकनीकी संसाधन मुहैया कराने के वादे से पलटने के बाद हालात और खराब हो सकते हैं। ऑनलाइन कामकाज नहीं होने से लगातार कई मामलों में प्रकरण लंबित हो रहे हैं। वहीं किसानों समेत आम लोगों को भी भटकना पड़ रहा है। राज्य के सभी जिलों में यही स्थित बन रही है। धान खरीदी के सीजन में अब किसानों का रकबा त्रुटि सुधार नहीं हो पा रहा है। इसी तरह रजिस्ट्री के बाद उच्च कार्यालयों को भेजा जाने वाला प्रतिवेदन भी लंबित हो गया है। ऑनलाइन कामकाज के बेमियादी बहिष्कार के बाद दो दिनों में ही करीब पांच हजार रर्राज्ट्रिरयों के प्रतिवेदन अपलोड नहीं हो पाए हैं। जाहिर है कि पांच हजार प्रतिवेदन सीधे तौर पर लंबित हो गए हैं।
पटवारी कार्यालयों में ऑनलाइन कामकाज नहीं होने से ऐसे किसानों को भटकना पड़ रहा है जिनके रकबे में त्रुटियां पाई गई हैं। दरअसल, कई किसानों के पटवारी खाते और सोसायटियों के खाते में अलग-अलग रकबा दर्ज होने से त्रुटि सुधार की कार्यवाही बंद हो गई है। इसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है, वे अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं। हालांकि पटवारी दफ्तरों में ऑफलाइन कार्य जारी है।
बहिष्कार के बाद किसानों को पटवारी दफ्तर का चक्कर लगाने की मजबूरी है। दूसरी तरफ रजिस्ट्री के बाद पटवारी दफ्तर से ही तहसील तक कई अहम जानकारियां ऑनलाइन भेजी जाती है। रजिस्ट्री के बाद संबंधित जमीन कोटवारी सेवा भूमि है या भू-स्वामी हक की है, यह तहसील में आला अफसरों को स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। तहसील स्तर पर इस बात पर भी असमंजस की स्थिति है कि संबंधित जमीन भू-अर्जन प्रभावित क्षेत्र या कृषि भूमि तो नहीं है। सूत्रों की मानें तो रजिस्ट्री के बाद दो दिनों में अब तक करीब पांच हजार प्रतिवेदन पेंडिंग हो गए हैं। इनमें नामांतरण के प्रकरण भी शामिल हैं
ऑनलाइन काम बंद होने से नामांतरण के साथ रिकार्ड नहीं हो पाएगा रिकार्ड दुरुस्त डिजिटल साइन भी नहीं हो पाने से लोगों को नामांतरण के बाद ऑनलाइन प्रिंट भी नहीं मिल पाएगा। इसी तरह ई-कोर्ट में किसी तरह का आदेश होने की स्थिति में इसका भी प्रतिवेदन दुरूस्त नहीं हो पाएगा। आदेश के बाद नाम जोड़ने या प्रतिवेदन भी लंबित हो रहा है।
तहसील क्षेत्र बदलकर जमीन की रजिस्ट्री करानी महंगी पड़ेगी
एक तहसील क्षेत्र की प्रापर्टी की अगर दूसरी तहसील या ब्लाक क्षेत्र के पंजीयन दफ्तर में जाकर रजिस्ट्री कराएंगे तो वह काफी महंगी पड़ेगी। राज्य सरकार के नए आदेश के तहत अब इस तरह से प्रापर्टी की रजिस्ट्री कराने पर 23 हजार नौ सौ रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना होगा। इससे पूर्व लोग महज 11 सौ रुपये देकर दूसरे ब्लाक क्षेत्र के पंजीयन दफ्तर में जाकर प्रापर्टी की रजिस्ट्री करा लेते थे। अब दूसरे तहसील क्षेत्र में जाकर प्रापर्टी की रजिस्ट्री कराने पर 25 हजार रुपये शुल्क लगेगा। इस नए नियम से भू-माफिया और प्रापर्टी एजेंटों में हड़कंप भी मचा हुआ है।
रुकेगी गड़बड़ी: इस नए नियम से काफी हद तक इस गड़बड़ी पर भी रोक लगेगी। नए नियम के तहत अब लोगों को दूसरी तहसील या ब्लाक के पंजीयन दफ्तर में जाकर रजिस्ट्री कराने के एवज में मोटी रकम विभाग को देनी होगी। भू- माफिया और कारोबारी प्रापर्टी के दस्तावेजों में कमी या गड़बड़ी होने का फायदा उठा लेते थे। अवैध प्लाटिंग करके कृषि भूमि को भू- माफिया दूसरे तहसील क्षेत्र के पंजीयन दफ्तर में प्रापर्टी की रजिस्ट्री करा लेते थे।