Yual Noah Harari on AI: युवाल का कहना है कि धीरे-धीरे हम ऐसी दुनिया में जीने लगेंगे, जो इंसानी दिमाग या इंसानी आविष्कार से नहीं, बल्कि AI की समझ और बुद्धिमत्ता से बनी हुई हो. युवाल ने AI के बढ़ते प्रभाव को लेकर सचेत किया है!
सेपियन्स और ‘21वीं सदी के लिए 21 सबक’ (21 Lessons for the 21st Century) जैसी चर्चित किताबों के लेखक युवाल नोआ हरारी ने AI को लेकर बात की है. हरारी ने दी लल्लनटॉप को दिए अपने इंटरव्यू (Yuval Noah Harari Interview) में और भी विषयों पर अपने विचार रखे. AI के बढ़ते प्रभाव पर युवाल कहते हैं,
अगर आप बैंक में लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो AI तय करता है कि आपको लोन दिया जाए या नहीं. AI बड़े पैमाने पर टेक्स्ट लिख रहे हैं, म्यूज़िक तैयार कर रहे हैं और शायद पूरी फ़िल्म ही बनाने में सक्षम हों. धीरे-धीरे हम ऐसी दुनिया में जीने लगेंगे, जो इंसानी दिमाग या इंसानी आविष्कार से नहीं. बल्कि AI की समझ और बुद्धिमत्ता से बनी हुई हो!
उन्होंने इसे एक उदाहरण से समझाया,
पहले की सभी टेक्नोलॉजीज की चाबी इंसानों के हाथ में थी. एटम बम को ही ले लीजिए. वो ये तय नहीं कर सकता कि किस शहर पर हमला करना है और न ही कोई नई चीज़ ईजाद कर सकता है. लेकिन अब ऐसा नहीं है!.
युवाल नोआ हरारी ने ये भी बताया कि इंसानों ने इवॉल्यूशन के क्रम में लगभग अरबों साल लगा दिए. उन्होंने कहा कि अरबों साल लगे हैं, हमें इस प्रकिया में. इस पर सौरभ द्विवेदी ने पूछा कि अरबों साल इस पूरे ब्रम्हाण्ड की उम्र का तो एक छोटा-सा ही हिस्सा है. लेकिन AI के ट्रांसफ़ॉर्मेशन में बहुत ज़्यादा समय नहीं लेगा. उन्होंने इसे समझाने के लिए अमीबा से डायनासोर की विकास प्रक्रिया के उदाहरण का इस्तेमाल किया. हरारी कहते हैं!,
शायद कुछ साल या कुछ दशक ही लगेंगे. जिसे हम देख रहे हैं, वो एक अमीबा है. ये बहुत नया है. शायद 10 साल पहले ही AI अस्तित्व में आया. लेकिन इसे अभी हज़ारों-लाखों सालों तक विकसित होना है. ये जैविक विकास की प्रक्रिया के मुकाबले बहुत तेज़ होगा. अमीबा से डायनासोर बनने तक का सफर अरबों साल में पूरा हुआ. GPT और GPT4, AI की दुनिया के अमीबा की तरह हैं. शायद अगले 20 साल में ही हमारे सामने AI का डायनासोर रूप होगा!