MacArthur Foundation Grant: मैकआर्थर फेलोशिप को ‘जीनियस’ ग्रांट के तौर पर भी जाना जाता है। इसे हर साल शिक्षा, विज्ञान, कला और समाज सुधार जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को दिया जाता है। फाउंडेशन ऐसे लोगों को ग्रांट देकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस साल एक भारतीय-अमेरिका को ये ग्रांट मिला है।
दलित महिलाओं के अनुभवों पर गहराई से शोध करने वाली भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर शैलजा पाइक को मैकआर्थर फाउंडेशन से 800,000 डॉलर का “जीनियस” अनुदान मिला है। ये अनुदान उन लोगों को दिया जाता है जो अपनी प्रतिभा और कड़ी मेहनत के जरिए अद्वितीय काम कर रहे हैं।
फाउंडेशन ने कहा कि शैलजा पाइक नया प्रोजेक्ट ‘तमाशा’ की महिला कलाकारों के जीवन पर केंद्रित है। ‘तमाशा’ एक लोकप्रिय घटिया रंगमंच है, जिसे मुख्त तौर पर महाराष्ट्र में सदियों से दलित समुदाय के लोग कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के आधार पर उन्होंने एक किताब लिखी है, जिसका शीर्षक ‘The Vulgarity of Caste: Dalits, Sexuality, and Humanity in Modern India’ है।
फाउंडेशन ने बताया कि राज्य सरकार ‘तमाशा’ को एक सम्मानजनक मराठी सांस्कृतिक प्रथा के तौर पर स्थापित करने का प्रयास कर रही है। मगर इसके बाद भी तमाशा के जरिए दलित महिलाओं के साथ होने वाली अश्लीलता जुड़ी हुई है।