बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना एयर फोर्स के विमान AJAX1413 से भारत पहुंची थीं. सिर्फ 2 घंटे के दरमियान इस एयरक्राफ्ट को 29,000 लोगों ने सर्च किया. ऐसे में सवाल उड़ना लाजमी है कि एक एयरक्राफ्ट को कैसे सर्च किया गया. सर्च किया गया तो फिर ट्रैक भी हुआ होगा. अगर ये एयरक्राफ्ट ट्रैक हो सकता है तो फिर दूसरे एयरक्राफ्ट का क्या?
बीती 5 अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना के दो दशक से ज्यादा लंबे चले शासनकाल का अंत हो गया. उन्होंने छात्रों के देशव्यापी हिंसक प्रदर्शनों के चलते इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया और शाम तक भारत पहुंचीं. बांग्लादेश एयर फोर्स के एयरक्राफ्ट AJAX1413 से. हमारी स्टोरी का हीरो यही एयरक्राफ्ट है. रिपोर्ट्स के मुताबिक बांग्लादेश से भारत पहुंचने में लगे सिर्फ 2 घंटे के दरमियान इस एयरक्राफ्ट को 29,000 लोगों ने ट्रैक या सर्च किया. हमारी स्टोरी की वजह यहीं से शुरू होती है!
सवाल ‘उड़ना’ लाजमी है कि एक एयरक्राफ्ट को कैसे सर्च किया गया. सर्च किया गया तो फिर ट्रैक भी हुआ होगा. अगर ये एयरक्राफ्ट ट्रैक हो सकता है तो फिर दूसरे एयरक्राफ्ट का क्या? अगर ऐसा होता है तो फिर सेफ़्टी का क्या? ऐसे कई सारे ‘क्या’ का जवाब है Flightradar24. इसी का रडार पकड़ते हैं.क्या है Flightradar24?
आसान भाषा में कहें तो ‘Where is my train app’ वाला मामला है. इस ऐप से हम सब परिचित हैं क्योंकि भारत में ट्रेन यात्रा के दौरान ट्रेन की गतिविधि का पता इसी ऐप से चलता है. वैसे ही एक फ्लाइट की लाइव एक्टिविटी का पता Flightradar24 ऐप से चलता है. ऐसे कई और ऐप आपने अपने स्मार्टफोन और लैपटॉप में इस्तेमाल किए होंगे. एक डेवलपर कंपनी है जिसने एक पूरा नेटवर्क सिस्टम डेवलप किया है. हालांकि इनके नाम में ‘रडार’ है, लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं कि इन्होंने जगह-जगह अपने एन्टीना फिट कर रखे हैं. दरअसल इसके पीछे ADS-B, MLAT जैसी तकनीकें काम करती हैं. सेटेलाइट से लेकर कई रडार का डेटा भी इस काम में मदद करता है. एक-एक करके सभी को समझते हैं.ADS-B
एयरक्राफ्ट को ट्रैक करने का बेस समझ लीजिए. इसका फुल फॉर्म है automatic dependent surveillance-broadcast (ADS-B), जिसे दशकों पहले लॉन्च किया गया था. ये तकनीक अमेरिका, कनाडा समेत यूरोप के देशों में खूब इस्तेमाल होती है. इस तकनीक में क्या होता है वो इसके नाम में ही पता चल जाता है. Broadcast मतलब प्रसारण. एयरक्राफ्ट जब आसमान में होते हैं तो वो एक तय अंतराल पर रेडियो सिग्नल छोड़ते हैं. हवा की भाषा में कहें तो datapoints. इसमें शामिल होती है उस एयरक्राफ्ट की पोजीशन, समुद्र तल से उसकी ऊंचाई और स्पीड. इस सारे डेटा को पकड़ने का काम जमीन पर मौजूद रिसीवर्स करते हैं!.