छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेज एवं कारपोरेशन, यानी दवा निगम, अपने काम और कारनामों की वजह से हमेशा चर्चा में रहता है। हाल ही में इस कारपोरेशन ने एक और विवाद उत्पन्न किया है। उन्होंने बिना किसी डिमांड के 660 करोड़ रुपये के केमिकल रीएजेंट और उपकरण की आपूर्ति कर दी है।
बिना किसी डिमांड के हुई इन सामाग्रियों की सप्लाई के पहले, विभागीय अधिकारियों ने इस बात की जानकारी नहीं ली कि ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों में इनकी आवश्यकता है या नहीं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से कोई डिमांड भी नहीं आई। महालेखाकार ने इस मामले में अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने यह बताया कि इस प्रकरण में ऑडिट की आवश्यकता है और इसके लिए विभागीय अधिकारियों से सहयोग के लिए निर्देश दिया गया है। इस मामले में अपर मुख्य सचिव ने हेल्थ डायरेक्टर, एमडी एनएचएम और एमडी सीजीएमएससी को दो जुलाई को बैठक बुलाई है। सभी अफसरों को इस मामले में संबंधित दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
जांच में इसे गैर जरूरी बताकर जवाब मांगा है और लिखा है कि इतनी बड़ी राशि से खरीदे गए उपकरणों की सप्लाई राज्य के ऐसे साढ़े तीन सौ हेल्थ सेंटरों में की गई, जिनकी वहां जरूरत नहीं थी और उनके सुरक्षित रखने के लिए भी कोई बड़ा इंतजाम नहीं था। महालेखाकार द्वारा भेजे गए पत्र के बाद अपर मुख्य सचिव ने हेल्थ डायरेक्टर, एमडी एनएचएम और एमडी सीजीएमएससी को तलब किया है और 2 जुलाई को हाईलेबल मीटिंग बुलाई है। यहां तक कि 2022-23 और 2023-24 में छत्तीसगढ़ राज्य मेडिकल सर्विसेज एवं कारपोरेशन द्वारा उन उपकरणों और रीएजेंट की खरीदी के लिए बड़ी राशि खर्च की गई थी।