नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय मणिपुर में जातीय विभाजन को पाटने के लिए जल्द से जल्द मैतेयी और कुकी दोनों समुदायों से बात करेगा। मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करते हुए शाह ने निर्देश दिया कि पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। गृह मंत्री ने ये भी कहा कि अगर जरूरत हुई तो केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई जाएगी। राज्य में शांति और सौहार्द बहाल करने के लिए उन्हें रणनीतिक रूप से तैनात किया जाना चाहिए। शाह ने जिस तरह से मणिपुर हिंसा को लेकर हाईलेवल मीटिंग की उसे संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान से जोड़कर देखा जा रहा।
मणिपुर को लेकर शाह ने बनाया स्पेशल प्लान
मोहन भागवत ने 10 जून को नागपुर में मणिपुर को लेकर कमेंट किया था। उन्होंने कहा कि मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। भागवत के इसी बयान के बाद अब अमित शाह ने अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। इस दौरान शाह ने यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में हिंसा की कोई और घटना नहीं हो। यही नहीं गृह मंत्रालय दोनों समूहों, मैतेयी और कुकी से बात करेगा, ताकि जातीय विभाजन को जल्द से जल्द पाटा जा सके। उन्होंने मणिपुर के मुख्य सचिव को विस्थापित लोगों के लिए उचित स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं, उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
मैतेयी और कुकी दोनों ग्रुप से बातचीत
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्य के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने चल रहे जातीय संघर्ष को हल करने के लिए समन्वित दृष्टिकोण के महत्व का जिक्र किया। बयान में कहा गया कि केंद्र सरकार राज्य में सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने में मणिपुर सरकार को सक्रिय रूप से सहयोग दे रही है। अमित शाह ने भले ही अधिकारियों से हालात को संभालने के लिए सख्त निर्देश दिए हों लेकिन हर किसी के मन में सवाल यही है कि मणिपुर में दो मूल समुदायों मैतेयी और कुकी के बीच विवाद की वजह क्या है?